शिक्षा को मात्र किताबों और पाठ्यक्रमों तक सीमित कर दिया गया
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शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत
शिक्षा को मात्र किताबों और पाठ्यक्रमों तक सीमित कर दिया गया शिक्षकों के अधिकार भी सीमित शिक्षकों की बहाली का सिस्टम ठीक नहीं, योग्य उम्मीदवारों को नहीं मिल रही नौकरी प्राइमरी में कम बच्चों के लिए अधिक शिक्षक, सेकेंडरी में 10 से ज्यादा पद पड़े हैं खाली कोलकाता : ‘शिक्षा की गुणवत्ता’ में गिरावट की […]
शिक्षकों के अधिकार भी सीमित
शिक्षकों की बहाली का सिस्टम ठीक नहीं, योग्य उम्मीदवारों को नहीं मिल रही नौकरी
प्राइमरी में कम बच्चों के लिए अधिक शिक्षक, सेकेंडरी में 10 से ज्यादा पद पड़े हैं खाली
कोलकाता : ‘शिक्षा की गुणवत्ता’ में गिरावट की वजह आम जनता की शिक्षा के सही स्वरूप के प्रति जागरूक न होना बहुत बड़ा कारण है. आज बच्चे इतने संवेदनशील हो गये हैं कि शिक्षक उन्हें डांट या ऊंची आवाज में कुछ बोल भी नहीं सकते. आज जब अभिभावक शिक्षा के सही स्वरूप को नहीं समझ पा रहे, ऐसी अवस्था में शिक्षकों का यह कर्तव्य है कि वह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारें, जिससे विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी मिल सके.
ये बातें आर्य परिषद के प्रधानाध्यापक वजाहत अली मिर्जा ने मंगलवार को प्रभात खबर की ओर आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम ‘शिक्षा की गुणवत्ता’ में कही. वरिष्ठ शिक्षक शिवानंद सिंह ने कहा कि शिक्षा में गिरावट का कारण विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा व उनके अनुपात में शिक्षक उपलब्ध न होना है. विद्यार्थियों को नौवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जाता, इसकी वजह से विद्यार्थी पढ़ाई को गंभीरता से नहीं ले रहे.
वरिष्ठ शिक्षक अखिलेश कुमार राय ने कहा कि आज एक गरीब घर के छात्र के हाथ में भी स्मार्ट फोन है. इंटरनेट का गलत इस्तेमाल विद्यार्थियों को गुमराह कर रहा. वरिष्ठ शिक्षक भगवान सिंह ने कहा कि आज शिक्षा के नाम पर निजी संस्थाएं शोषण कर रहीं. शिक्षा मात्र सिलेबस तक सिमित रह गयी है. शिक्षा का संस्कारित, वैचारिक व सैद्धांतिक होना बहुत आवश्यक है. शिक्षक अमित कुमार साह ने कहा कि शिक्षक व विद्यार्थियों के अनुपात को ठीक करना बहुत जरूरी है. इस पर शिक्षा विभाग को ध्यान देने की आवश्यकता है.
शिक्षिका प्रियंका मंडल ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण अयोग्य लोग भी शिक्षक बन रहे, जिससे सही शिक्षा विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रही. शिक्षक प्रह्लाद राम ने कहा कि गरीब व मध्यम वर्ग के बच्चों में शिक्षा के प्रति उदासीनता देखने को मिलती है, जिसका कारण शिक्षा के महत्व को न समझना ही है. कंप्यूटर शिक्षक रामजी बिंद ने कहा कि आज डिजिटल युग में कंप्यूटर के सही इस्तेमाल के प्रति विद्यार्थियों को शिक्षित करना आवश्यक है.
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