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… और नाराज महालक्ष्मी ने तोड़ा प्रभु जगन्नाथ का रथ

– जगन्नाथपुरी की तर्ज पर खरसावां व हरिभंजा में निभायी गयी लक्ष्मी द्वारा रथ गंभिनी की परंपरा – रथ यात्रा के पांचवें दिन हेरा पंचमी को रथ भंगिनी अनुष्ठान का आयोजन शचीन्द्र कुमार दाश, खरसावां हेरा पंचमी की रात ओड़िशा के पुरी की तर्ज पर खरसावां व हरिभंजा में मां लक्ष्मी द्वारा रथ भंगिनी की […]

– जगन्नाथपुरी की तर्ज पर खरसावां व हरिभंजा में निभायी गयी लक्ष्मी द्वारा रथ गंभिनी की परंपरा

– रथ यात्रा के पांचवें दिन हेरा पंचमी को रथ भंगिनी अनुष्ठान का आयोजन

शचीन्द्र कुमार दाश, खरसावां

हेरा पंचमी की रात ओड़िशा के पुरी की तर्ज पर खरसावां व हरिभंजा में मां लक्ष्मी द्वारा रथ भंगिनी की परंपरा को निभाया गया. सोमवार को देर शाम प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदिघोष को तोड़े जाने की परंपरा को इस बार भी निभाया गया. सोमवार की रात रथ भंगिनी के इस धार्मिक अनुष्ठान के देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे.

मान्यता है कि भाई बहन के साथ मौसी घर गुंडिचा मंदिर गये प्रभु जगन्नाथ के पांच दिन बाद भी श्रीमंदिर वापस नहीं लौटने पर मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और वह स्‍वयं गुंडिचा मंदिर पहुंचकर प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदिघोष को तोड़ देती है. इसके पश्चात प्रभु जगन्नाथ को कोसते हुए मां लक्ष्मी पुन: वापस लौटती हैं.

सोमवार की देर शाम इस धार्मिक परंपरा को खरसावां व हरिभंजा में निभाया गया. भजन कीर्तन करते हुए भक्तों की टोली ने मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पालकी में लेकर प्रभु जगन्नाथ के मौसीबाड़ी गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाया. गुंडिचा मंदिर के बाहर खड़े प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदीघोष पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को रखकर रथ का एक हिस्सा तोड़ा गया.

मान्यता है कि मां लक्ष्मी प्रभु जगन्नाथ से नाराज हो कर रथ के एक हिस्से को तोड़ देती हैं. फिर मां लक्ष्मी वापस अपने मंदिर में लौटती हैं. लक्ष्मी द्वारा रथ तोड़े जाने की परंपरा को हर साल निभाया जाता है. इस धार्मिक अनुष्ठान में भक्तों का समागम देखा गया. बड़ी संख्या में भक्त भजन कीर्तन करने के साथ-साथ जय घोष करते रहे. इस अनुष्ठान को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.

गुंडिचा मंदिर में संकट तारिणी व्रत आज

खरसावां व हरिभंजा के गुंडिचा मंदिरों में मंगलवार को संकट तारिणी व्रत का आयोजन किया जायेगा. मौके पर महिलाएं व्रत व उपवास रखकर पूजा अर्चना करेंगी. इस दौरान 13 प्रकार के फल व फूल मां तारिणी को अर्पित की जायेगी. इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं 13 हाथ लंबा धागा का व्रत बनाकर धारण करेंगी. प्रसाद चढ़ाने के बाद इसे भक्तों में वितरित किया जायेगा. धार्मिक मान्यता है कि इस पूजा से शक्ति स्वरुपा मां तारिणी हर तरह के संकट को दूर करती हैं. इसी कारण ही महिलाएं रथ यात्रा के पश्चात प्रथम मंगलवार को तारिणी व्रत का पालन करती हैं. गुंडिचा मंदिरों के अलावे विभिन्न तारिणी पीठों पर भी मां संकट तारीणी की पूजा की गयी. कई श्रद्धालुओं द्वारा घरों में भी कलश स्थापित कर माता की पूजा अर्चना की जायेगी.

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