नयी दिल्ली : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बारिश की कमी की वजह से खरीफ फसल की बुआई में देरी पर चिंता जतायी है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि गरमा फसल की बुआई के लिए अभी समय है. तोमर ने सोमवार को यहां राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन के मौके पर अलग से बातचीत में कहा कि सूखे जैसी स्थिति से संयुक्त प्रयासों से निपटने को केंद्र राज्यों के संपर्क में है. उन्होंने कहा कि खरीफ फसल की बुआई में देरी चिंता का विषय है. किसानों के लिए बुवाई पूरी करने के लिए अभी समय है.
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मौजूदा खरीफ सत्र 2019-20 में पिछले सप्ताह तक खरीफ बुआई एक साल पहले की तुलना में 27 फीसदी कम थी और 234.33 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंची थी. पिछले साल समान अवधि में 319.68 लाख हेक्टेयर थी. केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि सूखे जैसी स्थिति को लेकर हम राज्यों के संपर्क में हैं. खरीफ फसल की उपज के बारे में पूछे जाने पर तोमर ने कहा कि अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा.
भारतीय मौसम विभाग ने जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश का अनुमान लगाया है, जिससे बुआई के काम में तेजी आ सकती है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के साथ खरीफ फसल की बुआई शुरू होती है. इस साल इसमें देरी हुई, जिससे बुआई भी पीछे चल रही है. मौसम विभाग के अनुसार, अभी बारिश की कमी 33 फीसदी है. मुख्य खरीफ फसल धान की बुआई पिछले सप्ताह तक 52.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी, जो एक साल पहले समान अवधि में 68.60 लाख हेक्टेयर थी.
देश के छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में धान की बुआई पीछे चल रही है. इसी तरह, दलहनों में तुअर (अरहर), उड़द और मूंग की बुआई अभी सिर्फ 7.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 27.91 लाख हेक्टेयर था. मोटे अनाजों की बुआई भी पिछले साल के 50.65 लाख हेक्टेयर से घटकर 37.37 लाख हेक्टेयर रह गयी है. उधर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में दलहन की बुआई पीछे है.
तिलहनों के मामले में मूंगफली, सूरजमुखी और सोयाबीन की बुआई घटकर 34.02 लाख हेक्टेयर रह गयी है. पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 59.37 लाख्र हेक्टेयर था. नकदी फसलों में गन्ने की बुआई 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है. पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 51.41 लाख हेक्टेयर था. कपास की बुआई भी पीछे है. अभी तक इसकी बुआई 45.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 54.60 लाख हेक्टेयर था.
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