उर्मिला कोरी
अगले हफ्ते रिलीज को तैयार निर्देशक विकास बहल की फिल्म ‘सुपर 30’ में रितिक रोशन मैथेमेटिशियन आनंद कुमार की भूमिका में नजर आनेवाले हैं. रितिक कहते हैं कि मैथेमेटिशियन आनंद कुमार के संघर्ष की कहानी से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला. स्टूडेंट्स के साथ शूटिंग हो या पर्दे पर अभिनेत्री मृणाल ठाकुर संग छोटे शहर के रोमांस को दर्शाना, बहुत खास रहा. उनसे हुई खास बातचीत.
-क्या पहले आप आनंद कुमार को जानते थे?
मैं आनंद कुमार के बारे में पहले नहीं जानता था. इस फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी, तब फिर मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुआ. मैंने उनकी किताब भी पढ़ी. उनसे कई बार मिला. पहली मीटिंग में उनकी और मेरी बातचीत तीन-चार घंटे चली. उसके बाद पांच से छह बार मुलाकात हुई. उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. वाकई उनकी कहानी बहुत प्रेरणादायक है.
-किसी किरदार में ढलना कितना मुश्किल है?
किरदार के करीब जाने के लिए हेयर स्टाइल, मेकअप और कपड़े एक डिवाइस की तरह होते हैं, मगर मुझे लगता है कि लुक से ज्यादा किसी किरदार से जुड़ने के लिए इमोशनली कनेक्ट होना ज्यादा जरूरी है. बाकी चीजें अपने आप कनेक्ट हो जाती हैं, फिर चाहे वजन घटाना या बढ़ाना हो, त्वचा को टैन करना. 45 डिग्री की गर्मी में पापड़ बेचने वाले शख्स की स्किन मेरी तरह एसी में रहने वाले-सी तो नहीं रही होगी.
-बिहारी टोन को लेकर क्या अनुभव रहा?
बिहार में कई अलग-अलग भाषाएं व बोलियां हैं. मैंने एक टोन पकड़ा. मुझे उसे सीखने में दो महीने लगे. मुझे बिहार की भाषा से एक अलग-सा जुड़ाव महसूस होता है. वहां का लहजा, बोलने के तरीके में एक अलग-सी मिठास झलकती होती है. मुझे लगता है कि मैं पिछले जन्म में जरूर बिहारी रहा होऊंगा. मैं आनंद कुमार और अपनी बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सुनता रहता था, ताकि उनके बोलने के अंदाज को पकड़ सकूं. मेरी असल प्रैक्टिस यही हुई.
-यह फिल्म क्या संदेश देती है?
यह फिल्म सपने देखने की प्रेरणा देती है. सपनों को देखने और पूरा करने की प्रेरणा देती है. हमारे समाज में बहुत-से ऐसे वंचित परिवार हैं, जिनके बच्चों में प्रतिभा तो है, मगर उन्हें मौका नहीं मिल पाता. यह फिल्म उनकी कहानी है. आनंद सर ने अपने सारे रिसोर्स इकट्ठा किये और दुनिया को बताया कि जो मैं कर रहा हूं, तुम भी करो. मैं अपने सामर्थ्य के अनुसार 30 विद्यार्थियों को संवार रहा हूं. आप एक को तो संवारों. सभी लोग इससे प्रेरणा लें और कम-से-कम एक इंसान के लिए कुछ करें. किसी के लिए कुछ करने, किसी को कुछ सिखाने का संदेश देती है यह फिल्म. शिक्षा एक रोडमैप है, जो पूरी जिंदगी मार्गदर्शन करती है. यह फिल्म हमें बताती है कि समाज को बेहतर बनाने में हम अपना योगदान दें. यह फिल्म बच्चों से कहती है कि सपने देखो. आपके बड़े आपको इस सपने तक पहुंचाने में आपकी मदद करेंगे.
-एजुकेशन में रिजर्वेशन सिस्टम को आप किस तरह से देखते हैं?
मैं अभी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा. मुझे इस पर सोचना पड़ेगा. जो भी चीजें समाज को बैलेंस रखने में मदद करती हैं या समाज में न्याय लाती हैं, वह सही है.
-आप खुद किस तरह के स्टूडेंट रहे हैं?
मैं अच्छा था (हंसते हुए). बोलने में क्या जाता है. आइसीएसी में मैंने 68.9 मार्क्स लाये थे. हालांकि मैं सबको 70 प्रतिशत ही बताता हूं. 10वीं के बाद के मार्क्स मुझे याद नहीं हैं.
-एक पिता के तौर पर अपने बच्चों को क्या गाइड करते हैं?
मैंने उन्हें सिर्फ यही कहता हूं कि किस तरह से आपको अपना चरित्र बनाना है. जिंदगी में मजबूत फैसले लो. मैं उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए कहता हूं. बताता हूं कि आप में सेंस ऑफ ह्यूमर होना चाहिए. जिंदगी में कुछ बुरा हो रहा है, तो रोने से अच्छा उस पर हंस लो. अपने फैसलों पर कायम रहना सीखो. एक फैसला लेने के बाद फिर दूसरा ऑप्शन मत ढूंढ़ो, बल्कि एक फैसले पर अडिग रहो. अगर आपके सामने भालू आ जाये और आप सोचोगे कि भागूं या पेड़ पर चढूं, तो दोनों में से एक फैसला आपको तुरंत लेना पड़ेगा. वरना भालू आपको खा जायेगा.
-अपनी लाइफ का खास टीचर किसे मानते हैं?
मैं जिंदगी ने तमाम अच्छे और बुरे अनुभवों को अपना खास टीचर कहूंगा,क्योंकि सभी से मैंने कुछ-न-कुछ सीखा है.
-आपकी अपकमिंग फिल्म ‘कृष 4’ की क्या स्थिति है?
वह फिल्म अभी रुक गयी है. पापा का हेल्थ मेरी प्रायोरिटी है. जब वे पूरी तरह से स्वस्थ होंगे, तभी ही हम उस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करेंगे.