नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमण्यम ने सरकार को राजकोषीय घाटे को उत्तरोत्तर सीमित करने की राह पर टिके रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि राजकोषीय मोर्चे पर स्थिति खराब होने से बड़ी मात्रा में सार्वजनिक ऋण लेने की जरूरत होगी जिससे निजी निवेश प्रभावित हो सकता है.
संसद में बृहस्पतिवार को पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया है. अंतरिम बजट में भी यही अनुमान लगाया गया था. सुब्रमण्यम ने आर्थिक समीक्षा पेश होने के बाद संवाददाताओं से कहा कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर टिके रहना महत्वपूर्ण है, अन्यथा निजी निवेश प्रभावित हो सकता है. सरकार व्यय और राजस्व के अंतर को पाटने के लिए सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बांड़ों के जरिये बाजार से कर्ज जुटाती है.
इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है. समीक्षा में जहां राजकोषीय घाटे के 3.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया है. वहीं केंद्र और राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जो इससे 2017-18 में 6.4 प्रतिशत रहा था.