नयी दिल्ली : देश के शीर्ष औषधि नियामक सीडीएससीओ ने बुधवार को चिकित्सा उपकरण बनाने वाली अमेरिकी कंपनी मेडट्रोनिक्स द्वारा निर्मित कुछ इन्सुलिन पंप के बारे में अलर्ट जारी किया है. इन पंप को साइबर सुरक्षा का खतरा है, क्योंकि मरीज के अलावा कोई और भी बेतार के उनसे जुड़ सकता है, इसकी सेटिंग बदल सकता है और इसकी आपूर्ति को नियंत्रित कर सकता है.
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अलर्ट में कहा गया है कि इससे कोई भी शख्स इन्सुलिन के साथ मरीज को ओवरडोज दे सकता है और इससे लो ब्लड प्रेशर की दिक्कत या इन्सुलिन की आपूर्ति रूक सकती है, हाई ब्लड शुगर और डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (रक्त में एसिड का निर्माण) की दिक्कत हो सकती है.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अपने अलर्ट में कहा है कि सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों ने इन इन्सुलिन पंप से जुड़े संभावित साइबर सुरक्षा खतरे को चिह्नित किया है. सीडीएससीओ ने कहा कि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति विशेष तकनीकी कौशल और उपकरण के जरिये बिना तार के पास वाले इन्सुलिन पंप से जुड़ सकता है और पंप की सेंटिंग, नियंत्रण और आपूर्ति को बदल सकता है.
मेडट्रोनिक्स इंडिया ने बुधवार को एक बयान जारी किया और कहा कि उसकी पैरेंट कंपनी मेडट्रोनिक्स पीएलसी ने अपने मिनीमेड 508 और मिनीमेड पाराडिम सिरीज के पंप पर संभावित साइबर सुरक्षा खतरे के बारे में ग्राहकों को अवगत कराया था. ये मॉडल 2012 से और उसके पहले से मिल रहे हैं. बयान में कंपनी ने कहा कि फिलहाल उसे अनधिकृत व्यक्ति द्वारा सेटिंग बदलने या इन्सुलिन आपूर्ति को नियंत्रण से जुड़ी कोई पुष्ट खबर नहीं मिली है.
एक सप्ताह पहले अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (यूएस एफडीए) ने मरीजों और स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने वालों को चेतावनी जारी कर कहा था कि मेडट्रोनिक्स मिनीमेड के कुछ इन्सुलिन पंप को संभावित साइबर सुरक्षा खतरे को देखते हुए बाजार से वापस लिया जा रहा है. एफडीए ने कहा है कि इन मॉडलों का इस्तेमाल करने वाले मधुमेह के मरीजों को ऐसे संभावित खतरे से बचाव की सुरक्षा से लैस बेहतर मॉडल का इन्सुलिन पंप लेना चाहिए.