नयी दिल्ली : अंबाती रायुडू को क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ी के रूप में याद रखा जायेगा जो अपार प्रतिभाशाली होने के बावजूद अधिकारियों से गाहे बगाहे मतभेदों के चलते अपने कैरियर को परवान नहीं चढ़ा सका.
विश्व कप टीम के लिये बारंबार अनदेखी होने से दुखी रायुडू ने बुधवार को खेल को अलविदा कह दिया. बीसीसीआई को भेजे ईमेल में उन्होंने किसी पर दोष मंढने की बजाय अपने सभी कप्तानों को धन्यवाद दिया. तुनकमिजाजी के लिये बदनाम 33 बरस के रायुडू का यह फैसला हैरानी भरा नहीं रहा, क्योंकि रिजर्व की सूची में होने के बावजूद चोटिल विजय शंकर की जगह विश्व कप टीम में उनकी बजाय मयंक अग्रवाल को चुना गया.
रायुडू ने 55 वनडे और छह टी20 के अपने कैरियर में काफी उतार चढ़ाव देखे. सोलह बरस की उम्र में जब उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया तो कइयों ने उन्हें भविष्य का सितारा करार दिया था.
रणजी ट्रॉफी सत्र 2002-03 में उन्होंने आंध्र प्रदेश के खिलाफ दोहरा शतक और शतक जमाया. वह बांग्लादेश के खिलाफ अंडर 19 विश्व कप सेमीफाइनल में भारत के कप्तान भी रहे. इसके बाद दो सत्र में उनका प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा और हैदराबाद के कोचों तथा अधिकारियों से उनकी ठनती रही.
उन्होंने 21 बरस की उम्र में अनधिकृत इंडियन क्रिकेट लीग खेली. बाद में माफी मांगने के बाद बीसीसीआई ने उन्हें अपनी छत्रछाया में ले लिया. आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिये उनका प्रदर्शन शानदार रहा और 2013 में जिम्बाब्वे के खिलाफ भारत के लिये उन्होंने पहला मैच खेलकर नाबाद 63 रन बनाये.वह 2015 विश्व कप टीम में भी थे, लेकिन कोई मैच नहीं खेल सके. उन्हें 2018 में एशिया कप टीम में चुना गया जिसमें उन्होंने दो अर्धशतक बनाये. वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू शृंखला में उनके प्रदर्शन को देखकर लगा कि भारत की चौथे नंबर की समस्या का हल हो गया.
एक समय विश्व कप टीम में उनका चयन तय लग रहा था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू शृंखला मे वह नाकाम रहे. चयनकर्ताओं ने ‘त्रिआयामी खिलाड़ी ‘ विजय शंकर को चुना जिसके बद रायुडू का थ्री डी ट्वीट काफी वायरल हुआ.