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लोहरदगा : इंटर कॉलेजों में सीटें घटाने से छात्र परेशान

।। गोपी कुंवर ।। लोहरदगा : इंटर कॉलेजों में सीटों की भारी कटौती के कारण छात्र-छात्राओं के समक्ष नामांकन की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. सत्र 2016- 18 में इंटर के कला संकाय में जहां 1100 तक दाखिले हुआ करते थे, सत्र 2019-21 में इसे घटाकर महज 384 कर दिया गया है. खासकर छात्राओं […]

।। गोपी कुंवर ।।

लोहरदगा : इंटर कॉलेजों में सीटों की भारी कटौती के कारण छात्र-छात्राओं के समक्ष नामांकन की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. सत्र 2016- 18 में इंटर के कला संकाय में जहां 1100 तक दाखिले हुआ करते थे, सत्र 2019-21 में इसे घटाकर महज 384 कर दिया गया है.
खासकर छात्राओं को इसकी वजह से काफी परेशानी हो रही है. एमएलए महिला कॉलेज में दाखिले के लिए पहुंचने वाली दर्जनों छात्राएं और अभिभावक वापस लौट रहे हैं. इनमें ज्यादातर सुदूरवर्ती क्षेत्र के गरीब और जनजातीय परिवारों की छात्राएं हैं. कई छात्राएं ऐडमिशन के लिए जगह नहीं होने की जानकारी मिलने पर रोने लगी.

अभिभावक भी चिंतित हो गए. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि करीब 10 दिन से रोजाना यह दृश्य उत्पन्न हो रहा है. पूर्व की तरह दाखिला होने की उम्मीद में कॉलेज में 900 के करीब फार्म छात्राओं को दे दिया. इसके बाद ही इंटर साइंस और आर्ट्स में 384- 384 सीट पर ही नामांकन लेने का फरमान जैक ने जारी कर दिया.

अभिभावकों और छात्राओं से इस समस्या के बारे में अवगत होने के बाद तीन जुलाई को पूर्व मंत्री सधनू भगत और जनजातीय सामाजिक संगठन पड़हा परिषद के संरक्षक मतलू उरांव और देवान कार्तिक भगत कॉलेज पहुंचे.

प्रिंसिपल प्रो स्नेह कुमार से पूरी जानकारी ली. श्री भगत ने कहा कि विकास की बुनियाद शिक्षा होती है. सरकारी स्कूलों में अभी तक पर्याप्त शिक्षक नहीं है. वहां सीटें अनलिमिटेड और प्राइवेट कॉलेजों में सीमित करना गलत है. महिला कॉलेज लोहरदगा में शिक्षा का मजबूत आधार स्तंभ है. यहां सीटें बढ़ाई जानी चाहिए.

सरकार के गलत निर्णय से आदिवासी, गरीब और पिछड़े तबके की बेटियां नहीं पढ़ पाएंगी. पूरे मामले को राज्य सरकार तक ले जाने की बात श्री भगत ने कही.

इस दौरान सेरेंगदाग एडमिशन के लिए आयी छात्रा बिंदेश्वरी कुमारी और लातेहार से आयी सुषमा कुमारी ने रो रो कर बताया कि उसके परिजनों ने कॉलेज के हॉस्टल में इन्हें रखकर पढ़ाने की सोच रखी थी. अब यहां एडमिशन नहीं होगा तो पढ़ाई भी छूट जाएगी.

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