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लिपि, भाषा, संस्कृति परंपरा है, इसलिए हम हैं : द्राैपदी मुर्मू

जमशेदपुर : कांदरबेड़ा चाैक पर पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा का अनावरण आैर सड़क का नामकरण समाराेह काे संबाेधित करते हुए राज्यपाल द्राैपदी मुर्मू ने कहा कि 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आेलचिकि काे आठवीं अनुसूची में शामिल किया. किताबें छपनी शुरू हाे गयीं, लाेग इसे जानने लगे, लेकिन हमने इसके विकास […]

जमशेदपुर : कांदरबेड़ा चाैक पर पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा का अनावरण आैर सड़क का नामकरण समाराेह काे संबाेधित करते हुए राज्यपाल द्राैपदी मुर्मू ने कहा कि 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आेलचिकि काे आठवीं अनुसूची में शामिल किया. किताबें छपनी शुरू हाे गयीं, लाेग इसे जानने लगे, लेकिन हमने इसके विकास के लिए काेई ठाेस प्रयास नही किया.

याद रहे कि लिपि, भाषा, संस्कृति परंपरा जब तक है, इसलिए आप भी हैं. जब यह खत्म हाे जायेगी, ताे हम भी खत्म हाे जायेंगे. भाषा, संस्कृति की पहचान खत्म हाेने पर समाज काे लाेग भूल जाते हैं.
पंडित रघुनाथ मुर्मू जब स्कूल पढ़ने जाते थे, ताे उन्हें आेड़िया भाषा में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती थी, जाे उनकी समझ के परे थी. उन्हाेंने अपने पिता से यह बातें कहीं, ताे उनका जवाब था कि जब अपनी काेई लिपि नहीं है, ताे इसी में ही शिक्षा हासिल करना एकमात्र रास्ता है. महज 20 वर्ष की आयु में संताली प्रकृति के प्रेमी पंडित रघुनाथ मुर्मू ने अपनी भाषा-लिपि काे तैयार किया. इसके पूर्व वे जल, जंगल, जमीन, पहाड़, पेड़-पाैधे, पक्षियाें से मिले.
उनका अध्ययन किया. इसके बाद अपनी भाषा बनायी, जिसे आज लाेग आेलचिकि के नाम से जानते हैं. पंडित रघुनाथ मुर्मू ने लकड़ी पर लिखकर मेला में लाेगाें से मिलकर इससे जुड़ने का आह्रान किया. उस वक्त के राजा श्रीरामचंद्र भंजदेव ने उन्हें देखा. उनकी प्रतिभा काे पहचाना, इसके बाद उन्हें व्यवस्था प्रदान की, जिसके बाद उन्हाेंने कई पुस्तकें लिखी. राज्यपाल द्राैपदी मुर्मू ने कहा कि शिक्षित समाज ही बेहतर समाज का गठन कर सकता है.
अादिवासी समाज शिक्षित हाेंगे, ताे उनकी परंपरा भी मजबूत हाेगी अैार अपनी पहचान काे भी बचाने में कामयाब हाेंगे. अपनी भाषा काे आगे बढ़ाने की जरुरत है. झारखंड की पांच भाषाआें (हाे, संताली, मुंडारी, कुड़ुख, खाेरटा) काे आगे बढ़ाने के लिए उन्हाेंने अलग-अलग विभाग बनाने का निर्देश दिया है. सभी विभागाें काे निर्देश दिया है कि वे स्थानीय भाषा-साहित्य काे आगे बढ़ाने की दिशा में मजबूती से काम करें.
पंडित रघुनाथ मुर्मू ने आेलचिकि लिपि साइंटिफिक तरीके से तैयार किया है. इसमें एक वचन, दाे वचन के साथ-साथ बहु वचनाें का भी प्रयाेग किया गया है, इसलिए उन्हें धार्मिक गुरु भी कहा जाता है. हूल दिवस समाराेह काे पूरे राज्य स्तर पर आयाेजित किया जाना चाहिए. संस्कृति काे बचाये रखने आैर आगे बढ़ाने के लिए सरकार के भराेसे नहीं रहें, बल्कि खुद इसे अागे बढ़ाने की जिम्मेदारी संभालें.
सांसद ने पत्नी उषा काे मिलवाया राज्यपाल से. सांसद विद्युत वरण महताे ने अपनी पत्नी उषा महताे काे कार्यक्रम स्थल पर राज्यपाल द्राैपदी मुर्मू से मिलवाया.
टॉपर छात्र सम्मानित
समाराेह में स्वागत भाषण उपायुक्त छवि रंजन ने दिया. मंच पर जमशेदपुर जिप उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, आदित्यपुर के उप महापाैर अमित सिंह बाैबी, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेश कुमार शुक्ल व एसपी एस कार्तिक माैजूद थे. राज्यपाल ने समाराेह के दाैरान प्राेजेक्ट स्कूल के टॉपर व इंटर साइंस के टॉपराें काे सम्मानित किया.
कार्यक्रम में माझी परगना महाल का भी राज्यपाल ने अभिनंदन किया. राज्यपाल के स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. इस अवसर पर विधायक साधु महताे ने विधान सभा के सभी स्कूल टॉपराें काे स्कूल बैग उपहार स्वरूप प्रदान किया. कार्यक्रम में पहुंचे हजाराें लाेगाें के लिए खाने की व्यवस्था की गयी थी.
संताली भाषा में हाेगी मैट्रिक तक पढ़ाई : विद्युत महताे
सांसद विद्युत वरण महताे ने कहा कि देश से अंग्रेजाें काे भगाने के लिए सिदो-कान्हू व चांद-भैरव के नेतृत्व में हूल क्रांति की, उसी तरह अपनी भाषा-संस्कृति काे बढ़ाने के लिए पंडित रघुनाथ मुर्मू ने आेलचिकि भाषा का अविष्कार किया. उन्हाेंने अपनी भाषा से लाेगाें काे जगाने का काम किया.
नया भारत बनाने में सभी समुदाय-समाज का याेगदान है, लेकिन जाे समाज पहले ही जगा हुआ आैर मजबूत है, उसे अब शिक्षित कर इस क्षेत्र में लाभ लेने की जरूरत है. लिपि काे अागे बढायेंगे, जिसका फायदा सभी काे मिलेगा. मैट्रिक तक संतली भाषा की पढ़ाई राज्य में शुरू हाे गयी है, जिसका लाभ उठाने की जरूरत है. संताली के बाेर्ड हर सरकारी-केंद्रीय संस्थान कार्यालयाें के बाहर लगने शुरू हाे गये हैं.
संताली शिक्षा हासिल करने वालाें काे नाैकरी : साधु महताे
ईचागढ़ के विधायक साधु महताे ने कहा कि संताली में शिक्षित हाेने वालाें काे नाैकरियाें की काेई कमी नहीं हाेगी. अभी भी मैट्रिक पास करने वाले यदि अपने स्कूल में संताली पढ़ाना चाहें, ताे उन्हें शिक्षक के रूप में शामिल किया जायेगा. उन्हाेंने कहा कि वे क्षेत्र में सभी के लिए काम करना चाहते हैं, सभी के सहयाेग की जरूरत भी है. उहाेंने संतालियाें के अस्थि विसर्जन घाट के संबंध में कहा कि पहले एक राय बना ली जाये, इसके बाद मुख्यमंत्री के हाथाें उसका उद्घाटन करा दिया जायेगा, जिसके साैंदर्यीकरण का सारा खर्च विधायक फंड से वहन करेंगे.

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