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पेशेवर जीवन में सफलता के मंत्र

आपने कभी सोचा है कि नौकरी में अपने कामकाज के तौर-तरीकों को कैसे बेहतर करें या कामकाज में क्या बदलाव लायें, ताकि आपका संस्थान आप पर भरोसा करे. मजेदार बात यह है कि बहुत बड़े बदलाव की जरूरत नहीं. अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर क्षमताओं को मिलाकर आप खुद को तैयार करेंगे. इसके लिए आपको कुछ […]

आपने कभी सोचा है कि नौकरी में अपने कामकाज के तौर-तरीकों को कैसे बेहतर करें या कामकाज में क्या बदलाव लायें, ताकि आपका संस्थान आप पर भरोसा करे. मजेदार बात यह है कि बहुत बड़े बदलाव की जरूरत नहीं. अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर क्षमताओं को मिलाकर आप खुद को तैयार करेंगे. इसके लिए आपको कुछ चीजें अपनानी होंगी और कई चीजें छोड़नी होंगी. बेहतर को अपनाने की कोशिश तो आप लगातार करते हैं, ज्यादा जरूरी है कुछ आदतों को त्यागना.

दिल की आवाज सुनें
आखिरी बार ऐसा कब हुआ था कि आपने अपने दिल की बात सुनी और उसपर अमल किया. दफ्तर में अकसर मुश्किल घड़ी में दिल में कोई आवाज उठती है, तो आप उसे तुरंत दबा देते हैं. लेकिन यह नहीं करना है. दिल की आवाज को सुनिये. दिल की आवाज को दबाने के पीछे आपके सैकड़ों तर्क हो सकते हैं, पर तार्किक तरीके से लिए गये फैसले अक्सर मुकाम तक ले जाने में असफल रहते हैं. इसलिए अंदर की आवाज को सुनिये और उसे अमल में लाने की कोशिश कीजिये. ऐसा करने से आपका स्वयं पर भरोसा बढ़ेगा और सफलता की राह आसान होगी.
अपनी नाकामी के लिए आपही जिम्मेदार
यह एक आम चलन है कि अपनी गलती का ठीकरा किसी और पर फोड़कर खुद को बचा लिया जाये. ऐसा कर आप कुछ लोगों की नजरों से तो बच सकते हैं पर खुद से नहीं बच सकते. आपको भी मालूम है कि जिम्मेदारी आपकी थी, तो गलती भी आपकी वजह से ही हुई है. इसलिए गलतियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ना बंद करें.
ऐसा करने से आप कम से कम गलतियां करने कीकोशिश करेंगे.
आपके काम और आपकी सोच दोनों में जैसे ही तारतम्यता बैठने लगेगी, गलतियां कम होने लगेंगी और आपकी ऊर्जा सही दिशा में लगने लगेगी. आप अगर अपनी गलतियों को स्वीकार करने लगेंगे, तो आपके साथ काम करनेवालों का नजरिया भी बदलेगा और आपकी टीम के दूसरे सदस्य भी पहले से ज्यादा बेहतर काम करेंगे.
दूसरों को प्रोत्साहित करेंे
अक्सर यह देखा जाता है कि लोग सफलता की सबसे बड़ी कुंजी यस मैन होना समझते हैं. बॉस जो भी कहें, उनकी हर बात में हां में हां मिलाना. लेकिन यह चलन गलत है. ऐसा करने से दफ्तर में आपकी छवि खराब होगी. बॉस के अलावा बाकी दूसरे लोग आप पर हंसेंगे. इससे बचने और खुद को बचाने के लिए जरूरी है आप दूसरों को प्रोत्साहित करें. किसी की भी तारीफ करने में संकोच न करें. कमियां बताने में सावधानी बरतें, पर छुपायें नहीं. कहने कातरीका बदल दें. ऐसा करने से आप सही समय पर अच्छा काम कर सकेंगे. ऐसा करने से आपकी टीम के सदस्यों का भी उत्साह बढ़ेगा.
अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें
काम में अच्छी स्थिति पाने के लिए, जो सबसे पहले करना होगा वो है, अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आना. ऑफिस जानेवाले अक्सर अपने कम्फर्ट जोन से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं.
उन्हें लगता है कि सबकुछ अच्छा चल रहा है. पर लगातार एक ही स्थिति की वजह से काम में आपकी दिलचस्पी कम होने लगती है. इसलिए जरूरी है आप लगातार कुछ अलग और नया करें. इसके लिए आपको अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आना होगा. आप अगर ऐसा करेंगे, तो जिंदगी में बहुत कुछ नया कर पायेंगे, अच्छा कर पायेंगे.
खुद की तुलना दूसरे सहकर्मीसे कभी न करें
तुलना करना हमेशा दुधारी तलवार पर चलने जैसा होता है. एक तरफ यह दूसरे से बेहतर होने का उत्साह बढ़ाता है, तो दूसरी तरफ उस पेट्रोल की तरह काम करता है, जिससे ईर्ष्या बढ़ती है, दुश्मनी बढ़ती है.
इस तरह की समस्या से दफ्तर में हर किसी को दो चार होना पड़ता है, जहां सहकर्मियों की आपस में तुलना की जाती है. लेकिन आप कभी ऐसा मत कीजिये. इससे आपके सहकर्मियों में आपको लेकर भरोसा बढ़ेगा. आप खुद की तुलना खुद से करें. कल तक काम का लेवल यहां था, अब उसे और बढ़ाना है.

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