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चमकी बुखार का लीची से नहीं है कोई संबंध, कुपोषित बच्चों में तेजी से फैलता है संक्रमण : डॉ विद्यापति

विश्वत सेन रांची : बिहार के मुजफ्फरपुर में इन दिनों छोटे-छोटे बच्चों को चमकी बुखार अपनी चपेट में ले रहा है. चमकी बुखार यानी एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) अपना कहर बरपा रहा है और इसके संक्रमण फैलने के पीछे लीची को इसका सबसे बड़ा संवाहक बताया जा रहा है. मीडिया की खबरों में इस बात […]

विश्वत सेन

रांची : बिहार के मुजफ्फरपुर में इन दिनों छोटे-छोटे बच्चों को चमकी बुखार अपनी चपेट में ले रहा है. चमकी बुखार यानी एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) अपना कहर बरपा रहा है और इसके संक्रमण फैलने के पीछे लीची को इसका सबसे बड़ा संवाहक बताया जा रहा है. मीडिया की खबरों में इस बात को जारों से प्रचारित किया जा रहा है कि लीची खाने की वजह से इस जिले के बच्चे चमकी बुखार के संक्रमण का शिकार हो रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह नहीं है. वास्तविकता यह है कि चमकी बुखार यानी एईएस का लीची से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. सही मायने में यह कुपोषण के शिकार बच्चों में इसका संक्रमण तेजी से फैलता है.

इसे भी देखें : चमकी बुखार : मुजफ्फरपुर में अब तक 124 और वैशाली में 17 बच्चों की गयी जान

रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विद्यापति का कहना है कि एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम का लीची से कोई नाता नहीं है. यह मूलत: वायरल संक्रमण है और इसका संक्रमण कुपोषित बच्चों में तेजी से फैलता है. उन्होंने www.prabhatkhabar.com के साथ विशेष बातचीत के दौरान यह भी बताया कि जो बच्चे कमजोर और कुपोषित होते हैं, जिनका उम्र के हिसाब से वजन कम होता है और जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, वह एईएस के संक्रमण की चपेट में जल्दी आता है.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि खाली पेट में लीची खाने या फिर लीची खाने से एईएस की चपेट में आ रहे हैं, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि लीची का इस बीमारी से कोई संबंध है ही नहीं. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर इलाके में आज कोई नया लीची का उत्पादन नहीं हो रहा है. यह बरसों पहले से है और केवल मुजफ्फरपुर के ही लोग या बच्चे लीची खाते हैं, ऐसा भी नहीं है. मुजफ्फरपुर की लीची को हर साल देश के कई इलाके के लोग खाते हैं, मगर चमकी बुखार का शिकार केवल मुजफ्फरपुर के ही बच्चे हो रहे हैं, सोचनीय है. इस पर शोध होने की जरूरत है.

बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार या एईएस से मरने वाले बच्चों की संख्या करीब 112 हो गयी है. इसमें बताया यह भी जा रहा है कि इस बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों में से करीब 80 फीसदी लड़कियों की संख्या है. इसके साथ ही, मीडिया में एक रिसर्च के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की मुख्य वजह लीची ही है. लीची खाने से ही बच्चे इसके संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं.

मीडिया की खबरों में यह कहा जा रहा है, ”चमकी बुखार एक दिमागी बुखार है. इस जानलेवा बीमारी होने की असली वजह क्या है, अभी तक ये बात सामने नहीं आयी है. वास्तव में शरीर में शुगर और सोडियम की कमी के कारण यह एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस ) फैल रहा है. एक शोध में ये बात सामने निकल कर आयी कि इस बीमारी का प्रमुख कारण लीची है, जिसके कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है.”

एक रिपोर्ट के हवाले से मीडिया में यह भी कहा जा रहा है कि ”इस बीमारी की चपेट में आये इलाकों में जिन बच्चों ने रात का खाना नहीं खाया और लीची ज्यादा खा ली हो, उनके हाइपोग्लैसीमिया के शिकार होने का खतरा ज्यादा हो जाता है. लेकिन, क्या लीची वाकई इतना खतरनाक फल है? नहीं, बिहार में जो बच्चे इसका सेवन करने से बीमारी के शिकार हुए, उनमें कुपोषण के लक्षण देखे गये.”

मीडिया की खबरों में विशेषज्ञों के हवाले से कहा जा रहा है कि ”जिन बच्चों ने लीची खाने के बाद पानी कम पीया या काफी देर तक पानी ही पीया, उनके शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो गयी, जिसके चलते वो दिमागी बुखार के शिकार हो गये.”

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