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विदेशों से प्राप्त 927.2 करोड़ के अनियमित उपयोग का मामला: मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खिलाफ CBI जांच की हुई अनुशंसा

रांची : मिशनरीज ऑफ चैरिटी और उससे जुड़ी पांच संस्थाओं के खिलाफ अलग से सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है. यह अनुशंसा गृह विभाग (झारखंड) के संयुक्त सचिव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव से की है. अनुशंसा से संबंधित रिपोर्ट और जांच में आये तथ्यों की भी जानकारी गृह मंत्रालय को भेज […]

रांची : मिशनरीज ऑफ चैरिटी और उससे जुड़ी पांच संस्थाओं के खिलाफ अलग से सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है. यह अनुशंसा गृह विभाग (झारखंड) के संयुक्त सचिव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव से की है. अनुशंसा से संबंधित रिपोर्ट और जांच में आये तथ्यों की भी जानकारी गृह मंत्रालय को भेज दी गयी है.
संयुक्त सचिव की अनुशंसा में इस बात का उल्लेख है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी एवं इससे संबंधित पांच अन्य संस्थाएं एफसीआरए के तहत निबंधित हैं. रांची के कोतवाली थाना स्थित एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खिलाफ दर्ज केस के अनुसंधान और जांच में कई तथ्य मिले हैं.
तथ्यों के अनुसार, पिछले 11 वर्षों में मिशनरीज ऑफ चैरिटी और इससे जुड़ी पांच संस्थाओं ने विदेशों से प्राप्त लगभग 927.2 करोड़ का उपयोग अनियमित तरीके से किया है, जो इनके मूल उद्देश्य से अलग है. इन पांच संस्थाओं में मिशनरीज ऑफ चैरिटी ब्रदर्स, मिशनरीज ऑफ द वर्ल्ड, मिशनरीज ऑफ कोलकाता, मिशनरीज ऑफ चैरिटी फादर्स इंडिया और मिशनरीज सिस्टर्स ऑफ मेरी हेल्प ऑफ क्रिश्चियन मेरी प्रोविंस सोशल वेलफेयर सोसाइटी शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि पूर्व में केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी और उससे जुड़ी अन्य संस्थाओं की जांच सीआइडी ने की थी. जांच के दौरान भी इस बात की पुष्टि हुई थी कि संस्था ने एफसीआरए के तहत प्राप्त धन का उपयोग मूल कार्यों में नहीं कर दूसरे कार्यों में किया है. इससे पूर्व भी एफसीआरए के तहत निबंधित कई संस्थाओं के खिलाफ सीबीआइ जांच की अनुशंसा पूर्व में की जा चुकी है.
लाइसेंस रद्द करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास
एफसीआरए के तहत निबंधित ऐसी संस्थाओं का लाइसेंस रद्द करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है. इसके साथ ही ऐसी संस्थाओं को मिली चंदे की राशि की जांच करने में अपराध शाखा सक्षम है, अगर वह राशि एक करोड़ रुपये से कम है.
यदि राशि एक करोड़ से अधिक है, तब ऐसी परिस्थिति में सीबीआइ जांच करने की सक्षम एजेंसी है. मिशनरीज ऑफ चैरिटी और उससे जुड़ी संस्थाओं को मिली राशि की रकम एक करोड़ से अधिक है, इसलिए इस मामले में सीबीआइ जांच की अनुशंसा की गयी है.

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