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चमकी बुखार : दिल्ली से लौटने के बाद सीएम नीतीश ने अफसरों को किया तलब, कहा, मौत वाले परिवार व गांव का करें अध्ययन
पटना : सोमवार को दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री ने चमकी बुखार को लेकर आला अधिकारियों को तलब किया. मुख्यमंत्री ने जिन परिवारों में बच्चों की मृत्यु हुई है, उसका विस्तृत अध्ययन कराने का निर्देश दिया. संबंधित परिवार एवं गांव की स्थिति का भी अध्ययन करने को कहा. उन परिवारों की आर्थिक स्थिति, उनकी […]
पटना : सोमवार को दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री ने चमकी बुखार को लेकर आला अधिकारियों को तलब किया. मुख्यमंत्री ने जिन परिवारों में बच्चों की मृत्यु हुई है, उसका विस्तृत अध्ययन कराने का निर्देश दिया. संबंधित परिवार एवं गांव की स्थिति का भी अध्ययन करने को कहा.
उन परिवारों की आर्थिक स्थिति, उनकी आय का स्रोत क्या है ? उन सभी क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण और गंदगी की क्या स्थिति है, इसका मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया. खुले में शौच से मुक्ति और शुद्ध पेयजल की इन जगहों में क्या स्थिति है, इन सब चीजों का आकलन करवाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि खुले में शौच से मुक्ति और पीने के लिये शुद्ध जल उपलब्ध हो जाये तो ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिल जायेगा. इसी के मद्देनजर सरकार द्वारा हर घर नल का जल और हर घर शौचालय की योजना सरकार द्वारा चलायी जा रही है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में इसके संबंध में विशेषज्ञों की बैठक हुई थी, लेकिन विशेषज्ञ भी इस बीमारी के कारणों पर किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सके.
बढ़ेगी वाटर टैंकरों की संख्या
मुख्यमंत्री के समक्ष स्वास्थ्य, आपदा और पीएचइडी के प्रधान सचिव ने प्रजेंटेशन दिया. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने वाटर टैंकरों के माध्यम से पीने के पानी की उपलब्धता के बारे में जानकारी दी.
मौसम विभाग के प्रतिनिधि ने बताया कि अगले तीन दिनों के बाद स्थिति में परिवर्तन होने की संभावना है. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि हर जगह बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करें. वाटर टैंकरों की व्यवस्था को बढ़ायें. हर घर नल का जल के काम में और तेजी लायें. पहाड़ से सटे जिलों में भी टैंकरों की संख्या बढ़ायी जाये और चापाकल की स्थिति भी ठीक रखी जाये.साथ ही लोगों को इस संबंध में जागरूक किया जाये.
बच्चों की मौत मामले पर पीएमओ रख रहा है नजर
पटना : मुजफ्फरपुर में हर साल मासूम बच्चों की मौत के बाद इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी गंभीरता दिखलायी है. पीएमओ से बिहार में अज्ञात बीमारी से होनेवाली मौत को लेकर अब नियमित रिपोर्ट और स्थिति के बारे में जानकारी मांगी जा रही है. पीएमओ ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के पटना स्थित दफ्तर से इसा बाबत रिपोर्ट मांगी है.
पीएएमओ की नजर से केंद्रीय क्षेत्रीय संस्थानों की सक्रियता बढ़ गयी है. बच्चों की होनेवाली मौत की स्थिति की जायजा लेने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन के साथ स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे मुजफ्फरपुर से लौट चुके हैं. उनकी रिपोऱट पर भी केंद्र सरकार की नजर होगी.
बारिश का हो रहा इंतजार
हर साल मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत को लेकर राज्य एजेंसियों के साथ केंद्रीय एजेंसियों ने भी अपनी सक्रियता बढ़ायी है. केंद्र से भेजे गये विशेषज्ञ इसकी शोध में जुट गये हैं. राज्य सरकार की टीम के साथ केंद्रीय टीम के विशेषज्ञ वहां से सैंपल लेकर जांच के लिए भेज रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा इस मामले को लेकर 2012 में मानक कार्य संचालन (एसओपी) बनायी गयी है.
बच्चों की मौत के बाद तो इलाज के लिए इसका पालन किया जा रहा है. पर जानकारों का कहना है कि बीमारी के पहले जागरुकता के स्तर पर पूरी तैयारी नहीं करने के कारण इस तरह की घटनाएं बार-बार दोहरायी जा रही है. स्थानीय स्तर पर जागरुकता की जिम्मेदारी एएनएम, आशा, आंगनबाडी सेविकाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का माना गया. राज्य मुख्यालय तक प्राप्त सूचना के अनुसार अभी तक ऐसी जागरुकता का कोई प्रयास नहीं किया गया. अब जब स्थिति गंभीर हुई है तो बारिश का इंतजार किया जा रहा है.
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