हजारीबाग : पश्चिम बंगाल में चिकित्सकों के साथ की गयी मारपीट के विरोध में आइएमए व इंडियन डेंटल एसोसिएशन हजारीबाग इकाई के संयुक्त आह्वान पर सोमवार को जिले भर के चिकित्सक एकदिवसीय हड़ताल पर रहें. सदर अस्पताल के साथ-साथ सभी सरकारी अस्पतालों व निजी क्लिनिकों में चिकित्सक अनुपस्थित रहें, जिससे मरीजों को आवश्यक सेवा से वंचित होना पड़ा. सदर अस्पताल परिसर में सन्नाटा पसरा था.
केवल आपातकालीन विभाग व पोस्टमार्टम का काम चिकित्सकों ने किया. चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से दूर- दराज से इलाज के लिए आये मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ा. काफी संख्या में मरीजों को बगैर इलाज कराये वापस जाना पड़ा. अस्पताल में प्रतिदिन लगभग एक हजार से अधिक मरीजों का इलाज किया जाता है.
आइएमए के जिला सचिव डॉ रजत चक्रवर्ती ने कहा कि यह हड़ताल ऑल इंडिया आइएमए के आह्वान पर की गयी है. हड़ताल 24 घंटे की है. इस दौरान चिकित्सक केवल इमरजेंसी सेवा देने की अनुमति संघ की ओर से दी गयी है. जिले के सभी ओपीडी बंद रहें. हड़ताल को सभी चिकित्सकों का समर्थन मिला है. आइडिया के सचिव डॉ राजीव कुमार ने कहा कि पीड़ित डॉक्टरों पर हुए अत्याचार के विरोध में डेंटल एसोसिएशन आइएमए के समर्थन में खड़ा है. उन्होंने सरकार से डॉक्टरों के लिए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट जल्द से जल्द लागू करने की मांग की.
हड़ताल से प्रभावित मरीजों ने सुनायी अपनी पीड़ा: हड़ताल से प्रभावित मरीज आरती देवी ने कहा कि वह टंडवा (चतरा) से इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल आयी थी. यहां आने पर पता चला कि सभी डॉक्टर हड़ताल पर हैं. अस्पताल में इलाज नहीं हो रहा है. अस्पताल में उपस्थित लोग उन्हें निजी क्लिनिक में इलाज कराने की सलाह दी. गरीब आदमी है, किराया देकर इलाज के लिए यहां आयी थी. अब निराश होना पड़ रहा है.
कटकमसांडी प्रखंड के बलबल दुआरी के संजय ने बताया कि वह अपनी बच्ची के इलाज के लिए हजारीबाग आया था. हड़ताल के कारण इलाज नहीं हो पाया. हड़ताल से गरीब मरीजों को परेशानी होती है. कदमा की जमनी देवी ने बताया कि हड़ताल की मुझे कोई जानकारी नहीं थी. इतनी गर्मी में किसी तरह पैदल चल कर अस्पताल आयी हूं. लेकिन हड़ताल के कारण इलाज नहींकरा पायी.