रामगढ़/नुआंव : आसमान से बरसती आग व तेज लू के थपेड़ों के बीच किसान धान के बिचड़े डालने को लेकर काफी परेशान हैं. कभी वह पानी के लिए आसमान से बरसने वाले मेघ की तरफ, तो कभी रामगढ़ व नुआंव दोनों प्रखंडों के लगभग 30000 एकड़ खेतों को सिंचित करने वाली करगहर राजवाहा व गारा चौबे नहर की सूखे गर्भ को देख इस आस में टकटकी लगाये बैठे हैं कि कब नहरों में पानी आये.
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करगहर और गैरा चौबे नहर में नहीं पहुंचा पानी, किसान चिंतित
रामगढ़/नुआंव : आसमान से बरसती आग व तेज लू के थपेड़ों के बीच किसान धान के बिचड़े डालने को लेकर काफी परेशान हैं. कभी वह पानी के लिए आसमान से बरसने वाले मेघ की तरफ, तो कभी रामगढ़ व नुआंव दोनों प्रखंडों के लगभग 30000 एकड़ खेतों को सिंचित करने वाली करगहर राजवाहा व गारा […]
वहीं, इन किसानों को पानी के लिए ढांढ़स देने वाले पदाधिकारियों के दावे भी अब फेल कर रहे हैं. नतीजन 140 रुपये प्रति घंटे की दर से पंपसेट चला कर किसान अपने खेतों में धान के बिचड़े को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं.
जानकारों की मानें तो अब भी नहर में पानी की आस में दोनों प्रखंड के 80 प्रतिशत धान की होनेवाली रोपनी के बिचड़े खेतों में नहीं डाले गये हैं. रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद भी नहरें सुखी हैं. छह दिनों पहले विभाग के कार्यपालक अभियंता ने दावा किया था कि शुक्रवार की देर शाम तक करगहर राजवाहा में पानी व उसके दो दिन बाद गारा चौबे नहर में पानी उपलब्ध हो जायेगा. किसान पानी के अभाव में धान के बिचड़े डालने से वंचित नहीं होंगे.
किंतु छह दिनों बीतने के बाद भी अभी तक दोनों प्रखंड के हेड तक भी नहर में पानी नहीं पहुंचा है. इसको लेकर किसान काफी मायूस हैं. वहीं, मौसम की बेरुखी से डीजल पंप से पटवन होने वाले खेतों के हलक महज कुछ घंटों में ही सूर्य की तेज तपिश से सूख जा रहे हैं. नतीजा उक्त खेतों को पुनः किसानों को डीजल पंप चला कर सिंचित करने पड़ रहे हैं, किसानों के इस दर्द को न तो जनप्रतिनिधि गंभीरता से ले रहे हैं न ही प्रशासन के लोग और न ही विभाग के पदाधिकारी.
एेसे में देश के अन्नदाता कहे जाने वाले किसान को यह समझ नहीं आता कि अपनी फरियाद वह किससे कहें. जबकि, एक तरफ राज्य से लेकर केंद्र तक की सरकार किसानों के आमदनी को दोगुनी करने की दमखम भर रही है. वैसे में सही समय से खेतों के पटवन नहीं होने से धान की पैदावार काफी कम होने के आसार किसान बता रहे हैं.
किसानों को है मॉनसून का इंतजार
मोहनिया नगर. उमस भरी गर्मी और चिलचिलाती धूप ने लोगों को बेचैन कर दिया. वहीं, खेतों में धान के बिचड़े डालने की तैयारी में किसान बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं. ताकि समय पर धान की बुआई हो सके. संपन्न किसानों की बात करें तो मोटर और सबमर्सिबल से अपने खेतों की सिंचाई तो कर रहे हैं. लेकिन खेतों में पड़ी दरार में पानी का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है.
किसान मनीजी सिंह बताते हैं कि कुछ किसानों का रोहिणी नक्षत्र में ही धान के बिचड़े खेतों में डाल दिये गये हैं. लेकिन बहुत किसान ऐसे हैं जो किसी तरह दूसरे के सबमर्सिबल या पंप के सहारे खेतों में बिचड़े डाल रहे हैं. लेकिन अगर मॉनसून आ जाता है तो किसानों के लिए इससे बड़ी खुशी कुछ भी नहीं होगी.
बोले अधिकारी
विभाग के कार्यपालक अभियंता सुजीत कुमार ने बताया कि करगहर राजवाहा नहर में पानी लहुरबारी के पार पहुंच चुका है. जबकि, गारा चौबे नहर में चितौली के पार पानी पहुंचा है. नहर में जगह-जगह हो रहे काम व ऊपर से पानी का फ्लो कम आने से अब तक उक्त दोनों नहरों में पानी नहीं पहुंचा है. दो से तीन दिनों में दोनों नहरों में पानी पहुंच जायेंगे. शुक्रवार की देर शाम तक करगहर राजवाहा नहर में पानी आ जायेगा. जबकि, गारा चौबे नहर के जीरो मेल से 12 किलोमीटर अंदर तक नहर में पानी आ चुका है. किसानों के खेत सूखे किसी भी कीमत पर नहीं रहेंगे.
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