महुआडांड़ (लातेहार) : महुआडांड़ प्रखंड की अमवाटोली पंचायत के चिरचिरीटांड़ में आदिम जनजाति की बुधनी बृजिया (80) की मौत के बाद उस परिवार को अब तक सरकारी सहायता नहीं मिली है. बुधनी की मौत एक जनवरी 2019 को हुई थी. तब आर्थिक तंगी और लाचारी से तीन दिनों तक घर पर ही उसका शव पड़ा हुआ था. तब कहा गया था कि उसकी मौत का कारण भूखजनित रोग और ठंड लगने बताया गया था.
उस समय मामला सामने आने पर प्रशासनिक जांच में पाया गया था कि मृतक के परिजनों के पास राशनकार्ड, अपना घर या जमीन कुछ भी नहीं है. तब मृतक बुधनी बृजिया कि बहू सनकी बृजिया का पेंशन कार्ड बनाया गया. लेकिन आवंटन के अभाव में वह भी चार महीने से बंद है.
बुधनी की मौत की खबर सामने आने के बाद सीओ द्वारा 50 किलो चावल व 2000 रुपये देकर शव का अंतिम संस्कार कराया था. सीओ ने कहा था कि बृजिया परिवार को सरकारी सुविधाएं दिलायी जायेगी. बुधनी की मौत के पांच माह गुजर गये, लेकिन आज तक इस आदिम जनजाति परिवार को कोई लाभ नहीं मिल पाया है. सीओ ने राशन कार्ड, प्रधानमंत्री आवास, स्वास्थ्य योजना, उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गैस कनेक्शन का लाभ देने की बात कही थी, पर मिला कुछ नहीं.
बुधनी बृजिया की मौत के बाद चावल और कुछ राशि बतौर सहायता उसके परिजनों को दिये गये थे. बुधनी महुआडांड़ में स्थायी रूप से नहीं रहती थी. छत्तीसगढ़ में बेटी के पास रहती थी. उसके परिवार को सरकारी सहायता दिलाने के लिए सभी प्रयास किये जायेंगे.
जुल्फिकार अंसारी, सीओ, महुआडांड़