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मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का कहर : नतीजे पर नहीं पहुंची टीम, रिसर्च की बतायी जरूरत

केंद्रीय टीम ने माना ब्रेन टिश्यू से संबंधित मामला, रिसर्च के लिए सरकार को लिखेेंगे विशेषज्ञ मुजफ्फरपुर : चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की जांच के लिए आयी केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है. टीम का कहना है कि यह ब्रेन टिश्यू से रिलेटेड मामला है. इसके 15 लक्षण […]

केंद्रीय टीम ने माना ब्रेन टिश्यू से संबंधित मामला, रिसर्च के लिए सरकार को लिखेेंगे विशेषज्ञ
मुजफ्फरपुर : चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की जांच के लिए आयी केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है. टीम का कहना है कि यह ब्रेन टिश्यू से रिलेटेड मामला है. इसके 15 लक्षण होते हैं, जिनमें चमकी, बुखार और उल्टी होती है. बीमारी की पहचान के लिए रिसर्च की जरूरत है, तभी इसके इलाज पर कोई बात हो सकती है.
टीम का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय बाल कल्याण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ अरुण सिन्हा ने कहा कि रिसर्च के लिए वे सरकार को लिखेंगे.
केंद्रीय टीम ने पीआईसीयू में भर्ती सभी बच्चों का पुर्जा देख कर इलाज की जानकारी ली. बच्चों के अभिभावकों से कब और कैसे बीमारी हुई, इसके बारे में पूछा. टीम ने डॉक्टरों से इलाज के विभिन्न तरीकों का जायजा लिया. विशेषज्ञों का कहना था कि लक्षणों के आधार पर हो रहा इलाज प्रोटोकॉल के तहत ही किया जा रहा है. टीम के सदस्यों ने प्रत्येक बच्चे के लक्षण व इलाज में दी गयी दवाओं का ब्योरा तैयार किया. वापस लौटने पर टीम इलाज के सभी बिंदुओं की जांच करेगी. टीम में डॉ सौरभ गोयल व डॉ पूनम वेल्लोरी शामिल थीं.
एसकेएमसीएच में कोहराम : दस दिनों में 65 बच्चों की हो चुकी है मौत
एक साथ जब इतने बच्चे इलाज के लिए भर्ती होंगे, तो अव्यवस्था होगी ही. हालांकि पूरी कोशिश की जा रही है कि इलाज में कोई कमी नहीं हो. हमलोग खुद इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं. बच्चों के लिए एक बड़ा पीआईसीयू नहीं होने से थोड़ी परेशानी हो रही है.
डॉ विकास कुमार, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
यहां चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों का मुस्तैदी से इलाज किया जा रहा है. इसके लिए दिन-रात डॉक्टरों की टीम लगी है. सभी बच्चों का प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है.
डॉ सुनील शाही, अधीक्षक, एसकेएमसीएच
भर्ती होने के साथ ही लें ब्लड सैंपल, तुरंत दें रिपोर्ट
मुजफ्फरपुर : बच्चों के इलाज का जायजा लेने के बाद टीम ने एसकेएमसीएच के वरीय डॉक्टरों के साथ बैठक की. टीम के डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे जब भर्ती हों, तो तुरंत उनका ब्लड सैंपल व रीढ़ की हड्डी का पानी सीएसएफ की जांच करें. रिपोर्ट भी जल्द तैयार हो जाये, जिससे इलाज करने में आसानी हो. साथ ही जब बच्चे ठीक होने लगें, तो फिर दोनों जांच करानी चाहिए. टीम ने पीआईसीयू की हालत पर चिंता जतायी.
विशेषज्ञों का कहना था कि यहां बच्चों के लिए कम से कम सौ बेड का पीआईसीयू होना चाहिए. इससे बच्चों के इलाज में आसानी होती. एक बेड पर दूसरे बच्चे का रख कर इलाज किये जाने पर टीम ने आपत्ति जतायी. बैठक में एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ सुनील कुमार शाही, कॉलेज के प्राचार्य डॉ विकास कुमार, शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी के अलावा अन्य डॉक्टर शामिल थे.
डीएम के पूछने पर वार्ड इंचार्ज नहीं बता पायीं इलाज का तरीका
मुजफ्फरपुर : आप इंचार्ज हैं, बताइए, यदि कोई मरीज अभी आ जाये, तो किस तरह इलाज कीजिएगा. सर, प्रोटोकॉल में जो लिखा है, उसी तरह इलाज करेंगे, हां, लेकिन पहले क्या कीजिएगा. बच्चे को कैसे चेक करिएगा. इंचार्ज एएनएम इसका जवाब नहीं दे पाती. डीएम कहते हैं, घबराइए नहीं, सोच कर बताइए. ऐसे में तो हमलोगों के लिए मुश्किल हो जायेगी. अाज तो हम पूछ रहे हैं, कल सीएम आ जायेंगे तो क्या बोलिएगा. ऐसे नहीं चलेगा. वहीं खड़े डॉ सीके दास एएनएम को कहते हैं, तीन चीज का ध्यान रखना है, फ्लूड, ग्लूकोज देने के साथ बुखार भी देखना है. मौका गुरुवार को सदर अस्पताल के एइएस वार्ड के निरीक्षण का था. डीएम ने सभी बेड खाली देख कर पूछा, यहां मरीज नहीं है. उन्हें बताया गया कि यहां अब तक कोई मरीज नहीं आया. उन्होंने इस पर आश्चर्य जताया. डीएम ने पूछा कि एइएस वार्ड का बोर्ड क्यों नहीं लगाया गया. एक डॉक्टर ने कहा कि सर, पीछे के रास्ते से टंगा हुआ है.
यह जवाब सुनकर डीएम चुप रह गये. फिर उन्होंने दवाएं दिखाने को कहा. डीएम ने कहा कि वार्ड के अंदर एइएस के इलाज का प्रोटोकॉल का पोस्टर साफ-साफ लिखा होना चाहिए. नया बोर्ड बना कर लगाइए. फिर उन्होंने भर्ती अन्य मरीजों का जायजा लिया. एक मरीज ने कहा कि खाना समय पर नहीं मिलने की शिकायत की. उसने कहा कि खाना के लिए हमलोगों को थाली लेकर जाना पड़ता है. डीएम ने कहा कि खाना के लिए थाली की भी व्यवस्था कीजिए. मुआयना के दौरान अस्पताल अधीक्षक डॉ मेहदी हसन सहित अन्य डॉक्टर भी मौजूद थे.

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