लंदन : ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने शुक्रवार को सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी की नेता के तौर पर इस्तीफा दे दिया. मे के इस्तीफे ने नये प्रधानमंत्री का नाम तय करने के लिए होने वाले दिलचस्प मुकाबले का रास्ता साफ कर दिया है.
नये प्रधानमंत्री के सामने ब्रेक्जिट (यूरोपीय संघ से ब्रिटेन का बाहर निकलना) के बाबत ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच बातचीत को मुकाम तक पहुंचाने की चुनौती होगी.
अपने ब्रेक्जिट करार की बार-बार की नाकामी को लेकर बढ़ते दबाव के बीच टेरेसा मे ने अपना पद छोड़ने का ऐलान किया था. कंजर्वेटिव पार्टी की ओर से टेरेसा का उत्तराधिकारी चुने जाने तक वह कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर कामकाज संभालेंगी.
कंजर्वेटिव पार्टी का नया नेता प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा. बीबीसी ने खबर दी है कि प्रधानमंत्री पद छोड़ने की मंशा जाहिर करने के करीब दो हफ्ते बाद टेरेसा (62) ने 1922 समिति को अपना त्याग-पत्र सौंपा है.
समिति ने कहा कि अब वह ‘पार्टी के अगले नेता के तौर पर चुने जाने के लिए खड़े होना चाह रहे’ कंजर्वेटिव सांसदों से नामांकन-पत्र आमंत्रित करेगी. पूर्व विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन सहित 11 लोग कंजर्वेटिव पार्टी के नये नेता की रेस में आगे बताये जा रहे हैं.
मौजूदा विदेश मंत्री जेरेमी हंट और पर्यावरण मंत्री माइकल गव भी रेस में हैं. इस मुकाबले के विजेता की घोषणा जुलाई के चौथे हफ्ते में संभव है. टोरी के मतदान की औपचारिक प्रक्रिया सोमवार सुबह को शुरू होगी.
मारग्रेट थैचर के बाद ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री टेरेसा ने 23 मई को डाउनिंग स्ट्रीट में अपने भावुक संबोधन में कहा था, मेरे लिए यह हमेशा गहरे अफसोस की बात है और रहेगी कि मैं ब्रेक्जिट को अंजाम तक पहुंचाने में कामयाब नहीं हुई.
उन्होंने कहा था, मेरे उत्तराधिकारी को एक ऐसा रास्ता तलाशना होगा जो जनमत संग्रह के नतीजे का सम्मान करता हो. इसमें सफल होने के लिए उसे संसद में आम सहमति बनानी होगी, जो मुझसे नहीं हो सका.
ऐसी आम सहमति तभी बनाई जा सकती है जब बहस के हर तरह मौजूद लोग समझौता करने के लिए तैयार हों. अपने इस संबोधन में टेरेसा ने संकेत दे दिये थे कि उनके उत्तराधिकारी की राह बड़ी मुश्किल होगी.
जून 2016 में ब्रेक्जिट पर हुए जनमत-संग्रह के नतीजे आने के बाद डेविड कैमरन ने प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था और इसके बाद टेरेसा ने ही सरकार की कमान संभाली थी.
प्रभावशाली समिति द्वारा नेतृत्व के मुद्दे में व्यस्त होने के कारण देश में कुछ हफ्तों तक शासन सामान्य रूप से जारी रहेगा. कंजर्वेटिव नेता पद के उम्मीदवारों को अपने समर्थन के लिए आठ सांसदों की जरूरत होगी.
इसके बाद पार्टी के सांसद 13, 18, 19 और 20 जून को मतपत्रों के जरिये होने वाले गोपनीय मतदान में अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देंगे.