नयी दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत का लक्ष्य बिम्सटेक समूह के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना है, क्योंकि दक्षेस के साथ कुछ समस्याएं रही हैं. जयशंकर ने एक संगोष्ठी में यह भी कहा कि जिन प्रमुख क्षेत्रों पर उनका खास ध्यान रहेगा, उनमें पड़ोसी देशों और अन्य स्थानों पर विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है.
विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय संपर्क भारत के लिए महत्वपूर्ण प्राथमिकता है और बिम्सटेक आर्थिक समृद्धि और क्षेत्रीय एकीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है. उन्होंने कहा कि बिम्सटेक सकारात्मक ऊर्जा महसूस कर रहा है. उन्होंने कहा कि इसका फायदा उठाने और पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के नेताओं को आमंत्रित करने का फैसला किया गया था.
उन्होंने कहा कि दक्षेस में कुछ समस्याएं हैं और हम सभी जानते हैं कि यह क्या है. अगर आतंकवाद के मुद्दे को हटा भी दिया जाए, तो संपर्क और व्यापार आदि के मुद्दे हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भारत के रिकॉर्ड को सुधारने के लिए काफी गुंजाइश है और वह विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं की स्थिति की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने की योजना बना रहे हैं, ताकि उनका त्वरित कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके.
अमेरिका-चीन व्यापार विवाद के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने संकेत दिया कि यह भारत के लिए एक मौका पेश कर सकता है. पिछले कुछ वर्षों से भारत बिम्सटेक के तहत क्षेत्रीय सहयोग पर जोर दे रहा है. भारत के अलावा बिम्सटेक में बांग्लादेश, म्यामां, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं. बंगाल की खाड़ी बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (बिम्सटेक) संगठन की स्थापना 1997 में हुई थी और यह अभी डेढ़ अरब से ज्यादा लोगों का प्रतिनिधित्व करता है और इसका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर है.