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मो हन्नान की जान गयी, तो जाम होगा जिम्मेदार, गंभीर हालत में निजी अस्पताल में हैं भर्ती

सहरसा : यदि मो हन्नान को कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जाम की होगी. वह गंभीर अवस्था में शहर के एक निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. दरअसल बनमा इटहरी प्रखंड के जमाल नगर पंचायत के बादशाह नगर टोला निवासी मो हन्नान गांव में ही गंभीर रूप से […]

सहरसा : यदि मो हन्नान को कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जाम की होगी. वह गंभीर अवस्था में शहर के एक निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. दरअसल बनमा इटहरी प्रखंड के जमाल नगर पंचायत के बादशाह नगर टोला निवासी मो हन्नान गांव में ही गंभीर रूप से बीमार हो गये थे. परिजनों ने उन्हें पहले सलखुआ पीएचसी में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर देख उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया.

सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने भी बेहतर इलाज के लिए उसे बाहर रेफर कर दिया. चूंकि परिजन तुरंत बाहर ले जाने के लिए सक्षम और तैयार नहीं थे. इसीलिए वे यहीं निजी नर्सिंग होम में इलाज कराने का निर्णय लिया और ई-रिक्शा से गंगजला की ओर चल पड़े. थाना चौक तक पहुंचने के साथ ही उनका सामना जाम से हुआ.
बोरा की तरह उठा ले गये मरीज को: रिक्शा पर लाद कर निजी नर्सिंग होम ले जाने के क्रम में थाना चौक पर ही मरीज की स्थिति और बिगड़ने लगी. परिजनों को ऐसा लगा कि अब हन्नान जिंदगी की जंग हार जायेगा. यहीं उसकी सांसें थम जाएगी. आनन-फानन में दो लोग उसे रिक्शा से उतार टांग कर रेलवे क्रॉसिंग पार कराया. गंगजला चौक के करीब पहुंचने के बाद लोगों की मदद से एक रिक्शा किया. फिर नर्सिंग होम ले जा सके. जहां डॉक्टर ने तत्काल उसे आइसीयू में भर्ती कर लिया. इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा कि हन्नान की हालत गंभीर है. नर्सिंग होम पहुंचने में देर हो गई. अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.
वे स्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं. हन्नान के परिजन मंसूर आलम ने कहा कि यदि मरीज की जान गयी तो इसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे, जाम और जिला प्रशासन की होगी. प्रशासनिक उदासीनता से ही जाम की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक पुलिस सिकंदर यादव ने भी माना कि यह जाम किसी की मरीज की जान ले सकता है. दिन के समय में कम से कम 20 से 25 बार जाम लगता है.
शंटिंग के लिए 30 से 32 बार गिरता है ढाला…: बंगाली बाजार और गंगजला रेलवे क्रॉसिंग शहर की रफ्तार पर घंटे दर घंटे ब्रेक लगा रहा है. चूंकि पूरा शहर इस रेल लाइन के दोनों ओर फैला हुआ है. इसीलिए आर-पार करने की जरूरत होती ही है. किसी भी इंजन शंटिंग के लिए एक साथ दोनों ढ़ाला गिराया जाता है. जिससे क्रॉसिंग के दोनों ओर जाम लग जाता है. ऐसी स्थिति एक बार नहीं आती है. सहरसा जंक्शन से विभिन्न दिशाओं के लिए प्रतिदिन 29 ट्रेनें खुलती हैं.
इसके अलावे साप्ताहिक ट्रेन व मालगाड़ियों का आना-जाना भी लगा रहता है. कई बार दो-दो इंजन को शंटिंग कराने के बाद ही बैरियर उठाया जाता है. औसतन हर आधे से पौने घंटे पर बैरियर गिरता है और अगले आधे से एक घंटे के लिए जाम व महाजाम की समस्या बनती है. इस दौरान एंबुलेंस भी फंसते हैं, स्कूली भान भी. जाम में फंसने के कारण अब तक दो लोगों की मौत सड़क पर ही हो चुकी है. लेकिन एक अदद ओवरब्रिज नहीं बनाया जा सका है और न ही जाम से निबटने का कोई समाधान ही निकाला जा सका है.

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