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अब तक 10, 068 आवेदन स्वीकृत और 7,262 आवेदन किये गये अस्वीकृत

पूर्णिया : ऑनलाइन म्यूटेशन से आमलोगों की परेशानी घटने की बजाय और बढ़ गयी है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अंचल कार्यालय और हल्का कर्मचारी के रवैये में तनिक भी अंतर नहीं आया है. आज भी लोग इनके चक्कर में दौड़ लगा रहे हैं. सरकार ने जमीन की दाखिल-खारिज-की प्रक्रिया को आसान करने और […]

पूर्णिया : ऑनलाइन म्यूटेशन से आमलोगों की परेशानी घटने की बजाय और बढ़ गयी है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अंचल कार्यालय और हल्का कर्मचारी के रवैये में तनिक भी अंतर नहीं आया है. आज भी लोग इनके चक्कर में दौड़ लगा रहे हैं. सरकार ने जमीन की दाखिल-खारिज-की प्रक्रिया को आसान करने और विचौलियों को दूर करने के उद्देश्य से ऑनलाइन म्यूटेशन का फैसला किया था. इसके माध्यम से अंचल कार्यालय व हल्का कर्मचारी के पास बार-बार दौड़ने की जरूरत नहीं होगी.

घर बैठे अपनी जमीन का दाखिल खारिज आसानी से करा सकते हैं पर धरातल पर एेसा कुछ दिखता नजर नहीं आ रहा है. परेशानी यह है कि एक तरफ जहां समय से हल्का कर्मचारी प्रतिवेदन नहीं देते हैं वही प्रतिवेदन देने में भी स्पष्टता नहीं दिखती है. प्राय: आवेदन की स्थलीय जांच किये बगैर ही गोलमटोल प्रतिवेदन देने से भू-विवाद की समस्या जिले में निरन्तर बढ़ती जा रही है.
आंकड़े बताते हैं कि 1 दिसबर 2018 से 31 मई 2019 तक जमीन की ऑनलाइन म्यूटेशन के लिए कुल 46 हजार 73 आवेदन प्राप्त हुए है. इनमें 10 हजार 68 लोगों के नाम अब तक नामान्तरण किया गया है. आज भी 28 हजार 379 म्यूटेशन लंबित है तथा 07 हजार 626 आवेदनों को अंचलाधिकारी स्तर से अस्वीकृत किया गया है.
वगैर आपत्ति के 18 दिनों से लंबित लगभग 21 हजार 339 आवेदन व आपत्ति प्राप्त 60 दिनों के बाद के कुल संख्या 4 हजार 42 है. सर्वाधिक लबित मामले पूर्णियापूर्व व कृत्यानंद नगर अंचल से संबंधित है. पूर्णिया पूर्व में 4 हजार 58 आवेदन व कृत्यानंद नगर अंचल से 4 हजार 262 लोगों के आवेदन लंबित है. इसी प्रकार सबसे कम लंबित मामले जलालगढ. अंचल में 540 आवेदन व बैसा प्रखंड के 638 आवेदन है.
आरटीपीएस काउंटर पर बढ़ रहे आवेदनों की संख्या : बता दें कि जमीन के दाखिल-खारिज के समय अगर कोई कागजात अगर रह जाता है तो उस कमी को पूरा करा नामांत्रण की प्रक्रिया करने का प्रावधान है. इसके लिए आवेदक के मोबाइल नंबर या दूरभाष नंबर पहले ही लिए जाते है. जटील परिस्थिति में ही नियम संगत नहीं होने पर ही आवेदन अस्वीकृत करने का प्रावधान के बावजूद बड़ी संख्या में आवेदन अस्वीकृत किया जा रहा है
. परन्तु सामान्य दाखिल खारिज में भी हल्का कर्मचारी स्तर से स्पष्ट अनुशंसा न कर गोलमटोल अनुशंसा करने से अंचल स्तर पर अस्वीकृत करने के अधिक मामले सामने आ रहे है. अस्वीकृत बाद जब भी साक्ष्य के साथ हल्का कर्मचारी से मिलने पर अपनी भूल स्वीकार अवश्य करते हैं तथा पुन: ऑनलाइन आवेदन करने की सलाह आसानी से दे रहे हैं. इससे आम लोगों की परेशानी होने के साथ अंचल कार्यालय के आरटीपीएस काउंटर पर आवेदको की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है.

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