18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चीन से सीखें, आबादी रोकें

आरके सिन्हा सांसद, राज्यसभा rkishore.sinha@sansad.nic.in सत्रहवीं लोकसभा चुनाव की सारी प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने अपना कामकाज फिर से शुरू कर दिया है. यूं तो इस सरकार को देश हित में बहुत से अहम निर्णय लेने हैं, यदि सरकार देश […]

आरके सिन्हा

सांसद, राज्यसभा
rkishore.sinha@sansad.nic.in
सत्रहवीं लोकसभा चुनाव की सारी प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने अपना कामकाज फिर से शुरू कर दिया है. यूं तो इस सरकार को देश हित में बहुत से अहम निर्णय लेने हैं, यदि सरकार देश में आबादी को रोकने के लिए भी कोई ठोस नीति लेकर आये, तो इसका स्वागत ही होगा.
इस मसले पर अविलंब निर्णय लेने की आवश्यकता है. हमने अपनी आबादी को काबू में करने में देरी कर दी है. इसके पीछे लंबे समय तक सत्तासीन पार्टियों की वोट की राजनीति ही जिम्मेदार थी. तब एक खास समुदाय को खुश करके उनके वोट हथियाने के लिए सत्ताधारी नेताओं ने देश की तेजी से बढ़ती आबादी को रोकने के संबंध में सोचा ही नहीं. इसी सोच के कारण उस खास समाज को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वह विकास की दौड़ में पिछड़ गया है.
योग गुरु बाबा रामदेव ने भी देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाये जाने का पक्ष लेते हुए हाल ही में कहा कि दो बच्चों के बाद पैदा होनेवाले बच्चे को मताधिकार, चुनाव लड़ने के अधिकार और अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाना चाहिए. भारत को दिल से चाहनेवाला हर नागरिक बाबा रामदेव की सलाह के साथ खड़ा होगा. मैं यह जरूर कहूंगा कि बच्चों को मताधिकार से क्यों वंचित किया जाये?
क्यों न तीन बच्चों को पैदा करनेवाले पति-पत्नी को मताधिकार से वंचित करने की सजा दी जाये. रामदेव ने देश के सामने उस मसले के हल को पेश किया, जिससे देश जूझ रहा है. बढ़ती हुई आबादी देश के लिए समस्या है. बढ़ती आबादी को विकास का पूरा लाभ कोई भी सरकार कैसे दे सकती है. हमारी विकास परियोजनाओं की सफलता के रास्ते में सदैव आबादी एक बड़े अवरोध के रूप में खड़ी हो जाती है.
जहां देश अपनी अधिक आबादी को लेकर चिंतित है, वहीं एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बाबा रामदेव की सलाह के जवाब में कहा- ‘लोगों को असंवैधानिक बातें कहने से रोकने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है, लेकिन रामदेव के विचारों पर बेवजह ध्यान क्यों दिया जाता है?’
ओवैसी ने ट्वीट किया, वह योग कर सकते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि नरेंद्र मोदी सिर्फ इसलिए अपना मताधिकार खो देंगे, क्योंकि वह तीसरी संतान हैं. ओवैसी हर मसले पर सियासत करने से तो बाज ही नहीं आते. क्या ओवैसी को यह दिखाई नहीं देता है कि सारा देश जनसंख्या विस्फोट के कारण कितना कमजोर हो रहा है?
बाबा रामदेव कमोबेश वही कह रहे हैं, जिसे चीन ने वर्षों पहले करके दिखा भी दिया. चीन ने एक बच्चे से अधिक पैदा करनेवाले अपने नागरिकों को बहुत सी सुविधाओं से वंचित कर दिया था. बाबा रामदेव भी कह रहे हैं कि दो से ज्यादा बच्चे पैदा करनेवालों से सभी सरकारी सुविधाएं छीन लेनी चाहिए, यहां तक कि मतदान का अधिकार भी.
चीन ने भी अपनी बढ़ती आबादी रोकने के लिए यही किया. वहां ‘एक दंपति एक बच्चा’ को सख्ती से लागू किया गया. भारत में भी ‘हम दो, हमारा एक’ का सिद्धांत अगले पचास वर्षों तक लागू हो, जब तक कि आबादी घटकर सौ करोड़ से कम नहीं हो जाती है.
जहां जनसंख्या विस्फोट के कारण देश की नींद हराम हो जानी चाहिए थी, वहीं कुछ ज्ञानी जनसंख्या को एक वरदान के रूप में देखते हैं. वे यह मानते हैं कि जितने अधिक लोग होंगे, उतना ही अधिक काम हो सकेगा और उसी अनुपात में आय भी बढ़ेगी. हालांकि, यह सोच अतार्किक है. बेरोजगारी, अशिक्षा और अपराध का सीधा संबंध तेजी से बढ़ती आबादी से है.
अब हमारे लिए अपनी जनसंख्या का प्रबंधन करना असंभव सा हो चुका है. बेरोजगारी का आलम यह है कि तीन-चार हजार रुपये मासिक पर भी पढ़े-लिखे शिक्षित नौजवान पढ़ाने को तैयार हो जाते हैं. इंजीनियर को 15 हजार मिल जायें, तो गनीमत है. मजदूर-किसान अमानवीय स्थितियों में जीने को मजबूर हैं. इसे ही सस्ता श्रम कहकर विदेशी पूंजी निवेश को आमंत्रित किया जाता है.
भारत में 2011 में जनगणना हुई थी. उसी समय भारत की आबादी 1.20 करोड़ से अधिक हो चुकी थी. हम चीन के बाद दूसरे स्थान पर थे. पर अगर हमने तुरंत कठोर कदम नहीं उठाये तो साल 2025 तक हम चीन को भी मात दे चुके होंगे. भारत के साथ एक दिक्कत यह भी है कि असम और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ सूबों में हर साल लाखों बांग्लादेशी अवैध रूप से घुस जाते हैं.
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में तीन-चार करोड़ बांग्लादेशी नागरिक बस चुके हैं. ये देश के हर शहर में छोटा-मोटा काम करते हुए देखे जा सकते हैं. ये आपराधिक मामलों में भी लिप्त रहते हैं. कुछ वर्ष पहले राजधानी के विकासपुरी में गैर-कानूनी तरीके से भारत में आकर बस गये बांग्लादेशी गुंडों ने डाॅक्टर पंकज नारंग का कत्ल कर दिया था. राजधानी के यमुना पार में बांग्लादेशियों का आतंक बढ़ता ही चला जा रहा है.
दरअसल, अब देश को अपनी आबादी पर नियंत्रण करने के लिए एक व्यापक नीति बनानी ही होगी. इस मसले को राजनीति और धार्मिक आस्थाओं से ऊपर उठकर देखना ही उचित होगा. सबको याद रखना होगा कि देश बचेगा, तो ही धर्म और राजनीति बचेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें