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डेढ़ लाख से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड को रुपे कार्ड में बदलने का इंतजार

रांची : राज्य में किसान क्रेडिट कार्ड को रुपे कार्ड में बदलने की प्रक्रिया बड़ी संख्या में बैंकों के पास लंबित हैं. अभी भी 1 लाख 72 हजार से ज्यादा केसीसी को रुपे कार्ड में बदलने का इंतजार है. इस प्रक्रिया के समय रहते पूरा नहीं होने से किसान एटीएम और पाॅस मशीन में इसका […]

रांची : राज्य में किसान क्रेडिट कार्ड को रुपे कार्ड में बदलने की प्रक्रिया बड़ी संख्या में बैंकों के पास लंबित हैं. अभी भी 1 लाख 72 हजार से ज्यादा केसीसी को रुपे कार्ड में बदलने का इंतजार है. इस प्रक्रिया के समय रहते पूरा नहीं होने से किसान एटीएम और पाॅस मशीन में इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए केसीसी कार्ड धारकों को किसानी छोड़कर बैंक का रुख करना पड़ रहा है. वहीं किसानों को समय-समय पर फसल बीमा, मुआवजा, समर्थन मूल्य पर बेची गयी उपज, सब्सिडी और बोनस की राशि निकालने के लिए केसीसी पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे 15 लाख 63 हजार केसीसी को रुपे कार्ड (एटीएम कार्ड) के तौर पर बदला जा चुका है.
प्रार्थना पत्रों को तत्काल निपटाने का निर्देश : ऋण आवंटन योजना से संबंधित लाभार्थियों के बड़ी संख्या में आवेदन लंबित रहने के चलते बैंकों ने अपने ब्रांच मैनेजर को कड़ी हिदायत दी है कि लाभार्थियों के प्रार्थना पत्रों को निर्धारित समय सीमा में खत्म करें. यदि अनावश्यक रूप से बिना किसी ठोस कारण के आवेदन पत्र लंबित पाये गये तो बैंक मैनेजर के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.
बैंकों को जारी ताजा एडवाइजरी में केसीसी बनवाने में लगने वाली फीस, कर्ज माफी से जुड़े दस्तावेज, जांच समेत अन्य सर्विस पर लगने वालीे चार्ज में छूट दी जायेगी. दरअसल 3 लाख तक की केसीसी बनवाने के लिए अभी 2 से 5 हजार का खर्च आता है. अभी किसानों को फसल चक्र के हिसाब से 4 फीसदी की दर पर कर्ज मुहैया कराया जाता है.
बैंक और सरकार के आंकड़ों में भारी अंतर : झारखंड सरकार कृषि कार्य में संलग्न 39 लाख किसानों की मौजूदगी का दावा करती है. इस आधार पर बाकी बचे 21 लाख किसानों को केसीसी सुविधा प्रदान करना शेष है, जबकि बैंक इसे सिरे से खारिज करते हैं. बैंकों का कहना है कि सरकार बार-बार केसीसी के लक्ष्य को पूरा करने का दबाव बनाती है, जबकि वह खुद इस संबंध में कोई प्रमाणिक आंकड़ा पेश नहीं कर पाती.
हर किसान परिवार को केसीसी
सरकार देश के हर एक किसान परिवार तक किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है. इसे लेकर जल्दी ही एक स्पेशल कैंपेन लांच किया जाएगा, जिसके तहत किसानों को क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही उन्हें क्रेडिट कार्ड से मिलने वाले फायदे के बारे में बताया जायेगा.
किसानों को मिल रहा लक्ष्य से कम ऋण
झारखंड के किसानों को कम ऋण की राशि दी जा रही है. वार्षिक क्रेडिट प्लान से उलट मात्र 45.88 प्रतिशत लोन का वितरण किया गया है. यह राष्ट्रीय औसत से 18 प्रतिशत कम है. यह पिछले वर्ष बांटे गए कुल ऋण से 3 प्रतिशत और घट गया है. राज्य में अभी 17,35,758 किसान परिवार के पास किसान क्रेडिट कार्ड है.

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