विजयवाड़ाः वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख येदुगुरी संदिंटि जगनमोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के तौर पर आज शपथ लेंगे.राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन विजयवाड़ा में 46 वर्षीय नेता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे. हालांकि कार्यक्रम स्थल बीती रात भारी बारिश के कारण बरबाद हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी की जिंदगी की कहानी एक दम फिल्मों जैसी है. सफल कारोबारी से नेता और फिर राज्य के मुख्यमंत्री बनने तक के सफर में उन्होंने कड़ा संघर्ष किया. रेड्डी की पार्टी ने हाल ही में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की है.
वाईएसआर कांग्रेस ने राज्य विधानसभा की 175 में से 151 सीटों पर जीत दर्ज की. साथ ही उसने 25 लोकसभा सीटों में से 22 पर जीत हासिल की. तमाम अड़चनों के बावजूद रेड्डी अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के साथ लक्ष्य की तरफ बढ़े आज मंजिल अपनी मुट्ठी में कर ली. सामने कोई चुनौती देने वाला नहीं है. राज्य में सत्तारुढ़ चंद्राबाबू नायडू को न सिर्फ उखाड़ फेंका बल्कि करीब करीब सुपड़ा ही साफ कर दिया. एक योद्धा की तरह भारतीय राजनीति में जगन मोहन रेड्डी का सफर रहा है. ऐसी कहानी फिल्मों में देखने को मिलती है.लंबे संघर्ष के बाद 46 साल के जगन मोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश से चंद्रबाबू नायडू की सरकार को उखाड़ फेंका है.
ऐसे हुई राजनीति में इंट्री
वैसे तो जगन मोहन रेड्डी को राजनीति विरासत में मिली, लेकिन राजनीतिक मंजिल तक जगन मोहन को मजबूत इच्छाशक्ति ने पहुंचाई. जगन मोहन के पिता वाईएसआर रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. साल 2009 में जगन मोहन के पिता वाईएसआर रेड्डी की एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गयी थी. जगन मोहन रेड्डी की राजनीतिक यात्रा यहीं से शुरू हुई. राजनीति में आने से पहले वो एक सफल कारोबारी थे. लेकिन पिता की आकस्मिक मौत ने जगन मोहन को अंदर से तोड़ दिया. उन्हें उम्मीद थी कि जिस कांग्रेस पार्टी को आंध्र प्रदेश में मजबूत करने के लिए उनके पिता ने दिन-रात एक कर दिया था. उनकी मौत के बाद बेटे को पार्टी में तरजीह मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
साल 2009 में जगन मोहन रेड्डी उस कांग्रेस के दफ्तर से गुस्से में बाहर निकल गए थे. जब उनके पिता के निधन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया. कांग्रेस ने दिवंगत मुख्यमंत्री के उत्तराधिकारी के तौर पर के रोसैया को चुना. यह शीर्ष पद था जो कांग्रेस और जगनमोहन रेड्डी के बीच विवाद का कारण बन गया. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री पद की पैरवी की थी और जब उनसे कांग्रेस के नेता मिलने को तैयार नहीं हुए तो उन्होंने खुद ही कांग्रेस से दूरी बना ली और पिता के नाम पर वाईएसआऱ कांग्रेस’ अलग पार्टी बना ली.
वाईएसआर रेड्डी की लोकप्रियता इतनी थी कि उनकी मौत की खबर सुनकर कई लोगों ने आत्महत्या कर ली थी. आंध्र की जनता को सांत्वना देने के लिए जगन मोहन प्रदेश व्यापी यात्रा पर थे. इस यात्रा के दौरान जगन मोहन उनके घर तक पहुंच रहे थे जिनके परिवार के सदस्य ने आत्महत्या कर ली थी. उन्हें पिता की मौत के बाद राज्य में श्रद्धांजलि यात्रा तक निकालने की अनुमति नहीं मिली थी.
2012 मिली पहली कामयाबी
वाईएसआर कांग्रेस के गठन के बाद 18 कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़कर जगन मोहन के साथ आ गए. जिसके बाद इन 18 सीटों पर 2012 में उप-चुनाव हुए. इस उपचुनाव में जगन मोहन की पार्टी ने सबको चौंका दिया और 18 में से 15 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. इसके बाद जगन मोहन रेड्डी लगातार आंध्र प्रदेश की राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे. इस दौरान उन्हें जेल तक जाना पड़ा. दरअसल साल 2003 में जहां जगन मोहन की संपत्ति करीब 10 लाख रुपये थी, वहीं 2011 में अपने पिता की सीट कडप्पा से चुनाव लड़ते हुए दिए हलफनामे में उनकी संपत्ति बढ़कर 300 करोड़ रुपये हो गयी.
जिसके बाद कांग्रेस के एक मंत्री और टीडीपी के 2 नेताओं ने जगन मोहन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी. हाई कोर्ट के आदेश पर जांच में सीबीआई जुट गई. इसके अलावा आय से अधिक संपत्ति मामले में जगन के खिलाफ ईडी और इनकम टैक्स की जांच चल रही थी. जांच के दौरान जगन मोहन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया गया. करीब 16 महीने तक जगन मोहन रेड्डी जेल में रहे.
बदले की आग ने दिलाई मंजिल
साल 2010 के मध्य में जगन मोहन रेड्डी की मां विजयलक्ष्मी (विजयम्मा) अपनी बेटी शर्मिला रेड्डी के साथ सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचीं. कहा जाता है कि वाईएसआर रेड्डी और राजीव गांधी के बीच काफी घनिष्ठ संबंध थे, जिससे विजयलक्ष्मी को उम्मीद थी कि सोनिया गांधी उनकी बात को गंभीरता से लेंगी. लेकिन कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष से मिलने के लिए जब उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा तो उनकी सारी उम्मीदें टूट गयीं.
विजयम्मा चाहती थीं कि जगन मोहन को पार्टी में कोई सम्मानजनक पद मिले. लेकिन जब सोनिया गांधी ने उनकी मुलाकात हुई तो कांग्रेस अध्यक्ष ने उनसे कहा कि सबसे पहले आप जगन मोहन को यात्रा बंद करने के लिए कहिए. जगन मोहन रेड्डी का कहना है कि कांग्रेस दफ्तर में उनके बाद उनकी मां-बहन का भी अपमान किया गया. इसी का बदला लेने के लिए उन्होंने अलग पार्टी बनायी. जेल से निकलने के बाद जगन मोहन फिर जनता के बीच पहुंच गए. चंद्रबाबू नायडू सरकार के खिलाफ पदयात्रा शुरू कर दी. अपने पिता की तरह इस पदयात्रा से जगनमोहन को अपनी छवि बदलने और आंध्र प्रदेश को समझने में मदद मिली जिसके बाद आज वो सत्ता के शिखर पर पहुंच गए हैं.
…औऱ सौगंध हुई पूरी
2019 के चुनाव परिणाम के साथ ही जगन मोहन रेड्डी की सौगंध भी पूरी हो गयी है. जगन मोहन रेड्डी का जन्म 21 दिसंबर 1972 को आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैदराबाद पब्लिक स्कूल से पूरी की. जबकि स्नातक निजाम कॉलेज से पूरा किया. उन्होंने बी. कॉम और एमबीए की डिग्री भी हासिल की. जगन मोहन 1996 में वैवाहिक बंधन में बंधे और उनकी दो बेटियां हैं.