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रीयल एस्टेट डेवलपर को 10 साल तक मिल सकती है टैक्स से छूट, जानिये कैसे…?

नयी दिल्ली : रीयल एस्टेट डेवलपरों के लिए एक राहतभरी बड़ी खबर है और वह यह कि वित्त मंत्रालय उन्हें कम से कम 10 साल तक टैक्स से छूट देने पर गौर कर सकता है. सूत्रों के हवाले से दी जा रही खबर में यह कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय रीयल एस्टेट कंपनियों […]

नयी दिल्ली : रीयल एस्टेट डेवलपरों के लिए एक राहतभरी बड़ी खबर है और वह यह कि वित्त मंत्रालय उन्हें कम से कम 10 साल तक टैक्स से छूट देने पर गौर कर सकता है. सूत्रों के हवाले से दी जा रही खबर में यह कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय रीयल एस्टेट कंपनियों के लिए किराये के मकानों से प्राप्त लाभ पर 10 साल का टैक्स में छूट देने पर विचार कर सकता है. दरअसल, मंत्रालय की ओर से निवेश को पटरी पर लाने तथा अर्थव्यवस्था को गति देने के इरादे से इस प्रस्ताव पर विचार किया सकता है.

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वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हाल में ही हुई बैठक में रीयल एस्टेट कंपनियों से क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों से पार पाने के लिए उपाय सुझाने को कहा गया था. उनसे मकान किराया कारोबार मॉडल पर एक नोट भी देने को कहा गया, जिसमें व्यय को कटौती के लिए दावे के रूप में रखने की अनुमति दी जायेगी. वहीं, लाभ पर 10 साल के लिए टैक्स से छूट दी जायेगी.

पिछले कुछ साल से देश में निवेश कारोबार जीडीपी के ’36 फीसदी से घटकर 29 फीसदी’ पर आ गया है. वित्त मंत्रालय को भरोसा है कि इस गिरावट का मुख्य कारण रीयल एस्टेट क्षेत्र में नरमी है. मंत्रालय 2019-20 के बजट की तैयारी के लिए उद्योग मंडलों के साथ पहले ही चर्चा शुरू कर चुका है. बजट जुलाई में पेश किये जाने की संभावना है.

क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए जीएसटी परिषद ने किफायती मकानों से संबद्ध नयी परियोजनाओं पर बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के कर की दरों में कटौती कर 1 फीसदी तथा अन्य के लिए 5 फीसदी कर दिया है. वहीं, इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ यह क्रमश: 8 फीसदी से 12 फीसदी है. निर्माणधीन परियोजनाओं के संदर्भ में बिल्डरों को टैक्स की पुरानी तथा नयी दरों में से किसी एक को चुनने का विकल्प है. इसका मकसद इनपुट टैक्स क्रेडिट के मुद्दों का समाधान करना है.

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