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समुद्र की निगरानी करता इनक्वायस

हम रोज मौसम के पूर्वानुमान के बारे में समाचार माध्यमों से जानते रहते हैं. इस कारण हम भारतीय मौसम विभाग से परिचित हैं. इसी तरह की एक महत्वपूर्ण संस्था भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. यह केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन एक […]

हम रोज मौसम के पूर्वानुमान के बारे में समाचार माध्यमों से जानते रहते हैं. इस कारण हम भारतीय मौसम विभाग से परिचित हैं. इसी तरह की एक महत्वपूर्ण संस्था भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. यह केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय है.

इसका उद्देश्य समुद्री प्रेक्षण और अनुसंधान के आधार पर आंकड़े, सूचनाएं और सलाह देना है. यह संस्था महासागरों की सतह और गहराइयों की हलचलों पर नजर रखती है और उनका अध्ययन करती है. ओड़िशा में हाल में आये प्रलयकारी चक्रवात की पूर्व सूचना उपलब्ध होने के कारण ही जान-माल की बर्बादी को बहुत हद तक रोका जा सका है. इस संस्था के बारे में मुख्य जानकारियों के साथ प्रस्तुत है आज का इन्फो-टेक……

क्या है भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र
भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज- इनक्वायस) समुद्री सतह के तापमान का पर्यवेक्षण करता है और इसके आधार पर मछलियों की संभावित उपलब्धता के क्षेत्रों का पूर्वानुमान जारी करता है. इन पूर्वानुमानों के कारण प्राकृतिक आपदाओं से होनेवाले नुकसान से बचने में बड़ी कामयाबी मिली है. यह संस्था जहाजों के संचालन और समुद्री यातायात का पर्यवेक्षण भी करती है.
इनक्वायस की स्थापना 1998 में हुई थी और इसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत रखा गया. यह कार्य रक्षा विभाग में कार्यरत डॉक्टर ए नरेंद्रनाथ के प्रयासों से संभव हो सका था. डॉक्टर के राधाकृष्णन इस केंद्र के पहले निदेशक थे. दो दशकों में ही इसने समुद्री प्रेक्षण के क्षेत्र में अपना प्रतिष्ठित स्थान बना लिया है.
इनक्वायस की स्थापना क्यों हुई
भारत की समुद्री सीमा 7,500 किलोमीटर से भी अधिक लंबी है. करीब 20 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र के रूप में चिह्नित है. इसके किनारे लगभग 40 लाख लोग मछली उत्पादन से जुड़े हुए हैं. इस आबादी और तकरीबन 40 हजार करोड़ के कारोबार को तेज लहरों, चक्रवातों और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाना एक बड़ी चुनौती रही है.
समुद्री मछली के व्यवसाय के साथ नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखना भी जरूरी है ताकि समुद्री तटों और देश के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. समुद्र में जीवों और पौधों का विपुल भंडार भरा पड़ा है. उनके अध्ययन और संरक्षण के लिए भी प्रयासों की आवश्यकता होती है. भविष्य में खाद्य एवं ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या से निबटने में सागरीय शोध और अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण हैं. इनक्वायस इन सभी जिम्मेदारियों को निभाता है.
संस्था के अन्य कार्य
ऊपर उल्लिखित जिम्मेदारियों के अलावा इनक्वायस सागरीय तटों पर प्रदूषण का आकलन करने, लहरों से ऊर्जा पैदा करने की संभावनाओं को तलाशने, जहाजों से तेल रिसाव की निगरानी करने और तटीय क्षरण को देखने जैसे काम भी करता है. समुद्री पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य को मापना भी एक अहम जिम्मेदारी है.
इस अमूल्य गतिविधि के उत्साही महत्व को समझने के लिए छात्रों, शिक्षकों और नागरिकों को हैदराबाद स्थित इनक्वायस केंद्र को देखना चाहिए.
– प्रोफेसर रघु मूर्तुगुड्डे, विजिटिंग प्रोफेसर, आइआइटी बॉम्बे

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