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डेढ़ माह से खुद को घर में कैद किये मनोरोगी संतोष को पुलिस के भरोसे निकाला गया

देवघर : दो दिनों तक प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन की संवेदना जागी व पिछले डेढ़ महीने से कमरे में कैद मनोरमा देवी के मानसिक रूप से बीमार बेटे संतोष को सोमवार को रेसक्यू कर बाहर निकाला गया. लेकिन, संतोष को कैद से बाहर निकालने के लिए प्रशासन ने जो आधी-अधूरी […]

देवघर : दो दिनों तक प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन की संवेदना जागी व पिछले डेढ़ महीने से कमरे में कैद मनोरमा देवी के मानसिक रूप से बीमार बेटे संतोष को सोमवार को रेसक्यू कर बाहर निकाला गया. लेकिन, संतोष को कैद से बाहर निकालने के लिए प्रशासन ने जो आधी-अधूरी तैयारियां कर रखी थी, वह तस्वीर न केवल विचलित कर देने वाली थी, बल्कि कई सवालें भी खड़ी कर रही थी. बिना मेडिकल टीम के ही डेढ़ महीने से कमरे में कैद संतोष को बाहर निकालने के लिए पुलिस के भरोसे छोड़ दिया गया था.

बिना प्रशिक्षण के पुलिस ने अमानवीय तरीके को अपनाया : एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को पकड़ में लाने के लिए किस प्रकार के तरीके अपनाने चाहिए, इसकी ट्रेनिंग तो पुलिस के पास थी नहीं. लिहाजा, रेस्क्यू की जानकारी नहीं होने की वजह से संतोष को निकालने के लिए पहुंची पुलिस भी संतोष को पकड़ने के लिए उसके साथ एक कैदी की तरह व्यवहार करने लगी. संतोष तो मानसिक रूप से बीमार था. संतोष लगातार गालियां दे रहा था.
कमरे का दरवाजा तोड़कर उसे बीडीओ की मौजूदगी में पुलिस ने तो बाहर निकाल लिया पर उसे चंगुल में लेने के दौरान मानवीय संवेदनाएं भी तार-तार होती दिखी. नग्न अवस्था में कमरे से बाहर निकाले गये संतोष को पुलिस कपड़े पहनाने की कोशिश कर रही थी तो वह वह नहीं पहन रहा था. उसे वश में करने के लिए पुलिस वाले उसका बाल पकड़कर खींचते बाहर निकाले. बाहर में पहले संतोष को जमीन पर पटककर सुलाया गया, फिर एक पुलिस वाले ने उसकी गरदन पर जूते रख दिये.
फिर, उसे कपड़ा पहनाया गया. इस दौरान अगर संतोष का गरदन दब जाता तो शायद जिस बेटे को बचाने के लिए एक मां इतने दिनों से जद्दोजहद कर रही थी, एक लापरवाही के कारण उसके साथ अनहोनी भी हो सकती थी. इस दौरान मनोरमा के घर के समीप जुटी भीड़ द्वारा पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर वायरल भी किया गया है. हालांकि प्रभात खबर इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.
इलाज के लिए भेजा गया रिनपास : डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने मामले को संज्ञान में लेने के बाद एसडीओ विशाल सागर ने बीडीओ को पत्र भेजकर थाना प्रभारी से संपर्क कर पुलिस बल के साथ मनोरमा के मानसिक रूप से बीमार संतोष को कैद से निकाल कर सदर अस्पताल में भरती करने का निर्देश दिया.
बीडीओ की मौजूदगी में संतोष को अस्पताल लाया गया. फिर एंबुलेंस-108 को कॉल कराया गया. इस दौरान सदर अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ कृष्ण कुमार व डीएस डॉ विजय कुमार पहुंचे. 108 एंबुलेंस टीम आयी, फिर पुलिस की मौजूदगी में उसे इलाज के लिये रिनपास रांची भेजा गया.

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