नयी दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी जांच में पाया है कि मुस्लिम नौजवानों को कथित तौर पर आतंकवाद के लिए भड़काने वाले नफरत भरे उपदेशों के लिए विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक को उसके बैंक खातों और उसके ट्रस्टों के बैंक खातों में अज्ञात शुभचिंतकों ने कई सालों तक करोड़ों रुपये भेजे.
ईडी ने कहा कि नाइक के चैरिटी ट्रस्ट इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को कथित तौर पर चंदे और ज़कात के रूप में घरेलू और विदेशी दानकर्ताओं से धनराशि प्राप्त हुई. उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, ओमान और मलेशिया सहित कई अन्य देशों से चंदे मिले.
अपनी जांच रिपोर्ट में ईडी ने कहा है कि आईआरएफ के कई बैंक खाते हैं, जिसमें दानकर्ताओं की तरफ से दिए जाने वाले चंदे जमा किए जा रहे थे और इनका नियंत्रण खुद 53 वर्षीय जाकिर अब्दुल करीब नाइक (नाइक का पूरा नाम) के हाथों में था.
रिपोर्ट में कहा गया, यह बैंक खाते सिटी बैंक, डीसीबी बैंक लिमिटेड और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में हैं. आईआरएफ द्वारा प्राप्त की गई ज्यादातर धनराशि घरेलू एवं विदेशी दानकर्ताओं की तरफ से चंदे या ज़कात के रूप में हैं. यह धनराशि बैंकिंग माध्यमों के जरिए प्राप्त की गई थी.
बताया जाता है कि जांच से भाग रहा नाइक अभी मलेशिया में है. ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक, दानकर्ता अज्ञात हैं क्योंकि रसीदों में उनके नाम ‘शुभचिंतक’ लिखे हुए हैं. चूंकि चंदे सिर्फ नगद में दिए गए, इसलिए रसीदों पर सिर्फ दानकर्ताओं के नाम हैं और उनमें उनके संपर्क के ब्योरे का खुलासा नहीं किया गया. इससे बोगस या फर्जी प्रविष्टियों का संदेह पैदा होता है.
जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2003-04 से लेकर 2016-17 तक आईआरएफ के बैंक खातों में करीब 65 करोड़ रुपये की धनराशि आयी. ईडी ने कहा, इस धनराशि में से ज्यादातर का इस्तेमाल ‘शांति सम्मेलनों’ के आयोजन, बड़े उपकरणों की खरीद, वेतन भुगतान एवं अन्य मदों में किया गया. नाइक की अगुवाई में आईआरएफ हर साल ‘शांति सम्मेलन’ नाम का कार्यक्रम कराता था.
इन शांति सम्मेलनों के दौरान भड़काऊ भाषण दिए जाते थे और धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता था. जांच एजेंसी ने कहा कि अज्ञात दानकर्ताओं से प्राप्त धनराशि के स्रोत पर अब भी संदेह है.
ईडी ने धनशोधन निरोधक कानून के तहत हाल में मुंबई की एक अदालत में नाइक के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि इस्लामी उपदेशक ने कथित तौर पर गलत तरीके से अर्जित किए गए धन का इस्तेमाल देश में संदिग्ध रियल एस्टेट संपत्तियों की खरीद में किया.