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नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत पर विदेशी मीडिया ने क्या कहा, बस एक क्लिक में पढ़े

नयी दिल्लीः देश-दुनिया के मीडिया में लोकसभा चुनाव चुनाव 2019 का परिणाम छाया हुआ है. पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक की मीडिया में मोदी मैजिक को दिखाया गया है. लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत को वैश्विक मीडिया ने नरेंद्र मोदी पर जनता के विश्वास का नतीजा बताया. अमेरिका के "द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा […]

नयी दिल्लीः देश-दुनिया के मीडिया में लोकसभा चुनाव चुनाव 2019 का परिणाम छाया हुआ है. पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक की मीडिया में मोदी मैजिक को दिखाया गया है. लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत को वैश्विक मीडिया ने नरेंद्र मोदी पर जनता के विश्वास का नतीजा बताया. अमेरिका के "द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा कि मोदी मजबूत छवि के कारण जीते. भाजपा के इस बड़े नेता को रोकना विपक्ष के लिए मुश्किल हुआ. पाकिस्तान के बड़े अखबार द डॉन ने लिखा- मोदी की यह जीत पाक विरोधी नीति पर मुहर है. साथ ही द डॉन ने लिखा- मोदी 2-0 से आगे दिख रहे हैं. मतलब ये कि पाकिस्तान के प्रति भाजपा की नीति नहीं बदलेगी और दोनों देशों में तनाव भी कम नहीं होगा. सवाल ये भी है कि क्या मोदी इमरान खान के शांति प्रस्ताव को तवज्जो देंगे? मोदी की यह जीत पाक विरोधी नीति पर मुहर है. पाकिस्तान के चैनल जियो टीवी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, "मोदी चुनाव प्रचार की शुरुआत में विधानसभा चुनावों में कुछ राज्य में हार और महंगाई-बेरोजगारी पर गुस्से के चलते दबाव में थे.
हालांकि, पुलवामा हमले के बाद यह अभियान भारत के परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी पाकिस्तान के साथ रिश्तों की ओर मुड़ गया. इससे भाजपा को फायदा हुआ. भाजपा ने बेहद प्रभावी प्रचारक मोदी की स्टार पावर का फायदा उठाया. भाजपा की चुनावी मशीनरी भी जमीनी स्तर पर ज्यादा प्रभावी थी. ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने लिखा मोदी की भारतीय चुनाव में एकतरफा जीत. सरकारी ‘रेडियो पाकिस्तान ने अपने दक्षिण एशिया खंड में ‘भारतीय मतगणना’ में ‘मोदी की भाजपा आगे’ नाम से खबर चलायी. लगभग सभी पाकिस्तानी समाचार चैनलों और अखबारों ने भारतीय मीडिया के कवरेज का विवरण दिया है.
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्डियन’ ने लिखा कि मोदी की भाजपा ने फिर कमाल किया. अमेरिका के "द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा कि मोदी मजबूत छवि के कारण जीते. भाजपा के इस बड़े नेता को रोकना विपक्ष के लिए मुश्किल हुआ.
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, ‘कुछ महीने पहले जब मोदी आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहे थे, तब जो नतीजे विश्लेषकों ने सोचे थे.. यह जीत उससे कहीं ज्यादा प्रभावी साबित हुई. हिंदू राष्ट्रवाद की राजनीति के ब्रांड बन चुके मोदी ने पूरी दुनिया में भारत की जो मजबूत छवि पेश करने की कोशिश की थी, उसने देश के 91 करोड़ मतदाताओं को पूरी तरह प्रभावित किया. मोदी को व्यापार के लिए भी बेहतर माना गया. उन्होंने टैक्स व्यवस्था को सरल किया और भ्रष्टाचार पर लगाम लगायी. एशिया में भारत का स्टॉक मार्केट एक संभावनाओं वाली जगह है. जबकि, अमेरिका के साथ ट्रेड वार के चलते चीन के शेयरों को नुकसान उठाना पड़ा है.’
द गार्डियन ने लिखा- एग्जिट पोल में जो नतीजे दिखाए गए, वही सच साबित हुए. मोदी की भाजपा की सत्ता में वापसी हुई. उन्हें रोकने की तमाम कोशिशें हुईं, लेकिन जनता ने इस कद्दावर नेता और उसकी पार्टी में भरोसा बरकरार रखा.
सीएनएन ने लिखा- पिछली बार मोदी का नारा था "सबका साथ-सबका विकास’. इस बार उन्होंने खुद को चौकीदार कहा. उन्होंने प्रभावी तौर पर खुद को देश का रक्षक दिखाया. यह एक बहुत ही अलग संदेश है. एक चीज जिसने मोदी को 2014 में बेहद लोकप्रिय बनाया, वह थी अर्थव्यवस्था के लिए किए गए उनके वादे थे. ना केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में इसीलिए उन्हें इतनी गंभीरता से लिया जाता है.

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