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वोट चेक करने वाली VVPAT की पूरी कहानी, कब बनी और कैसे करती है काम, अभी क्यों है चर्चा में

नयी दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 का मतदान हो चुका है. मतगणना 23 मई को है. इससे पहले विपक्ष द्वारा पूरे देश में ईवीएम और वीवीपैट को लेकर हंगामा मचा हुआ है. नतीजे आने से ठीक दो दिनों पहले कांग्रेस और दूसरे प्रमुख विपक्षी दलों के नेता आज चुनाव आयोग जाएंगी और वीवीपैट और ईवीएम मशीन […]

नयी दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 का मतदान हो चुका है. मतगणना 23 मई को है. इससे पहले विपक्ष द्वारा पूरे देश में ईवीएम और वीवीपैट को लेकर हंगामा मचा हुआ है. नतीजे आने से ठीक दो दिनों पहले कांग्रेस और दूसरे प्रमुख विपक्षी दलों के नेता आज चुनाव आयोग जाएंगी और वीवीपैट और ईवीएम मशीन के मिलान में अंतर होने पर दोबारा गिनती की मांग करेगी.

पहले जहां बैलेट पेपर के जरिए मतदान होता था. अब उसकी जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ने ली है. ईवीएम लाने के पीछे मतगणना में लगने वाले समय को कम करने और बैलेट से भरी मत पेटियों के रखरखाव में होने वाले खर्च को बचाना भी था. लेकिन ईवीएम की पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे. जिसे देखते हुए चुनाव आयोग वोटर वेरिएफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) लेकर आया. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में बनायी थी. यही दोनों भारतीय कंपनियां ईवीएम भी बनाती हैं. भारत में पहली बार वीवीपैट का इस्तेमाल नगालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ था. सितंबर में हुए राज्य के नॉकसेन विधानसभा सीट के लिए वीवीपैट लगी ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था. इसी साल मिजोरम की 40 में से 10 विधानसभा सीटों पर मतदाताओं ने वीवीपैट लगी ईवीएम से अपने वोट डाले.
ऐसे काम करती है वीवीपैट
वीवीपैट ईवीएम के साथ जुड़ा होता है. जब वोटर ईवीएम में किसी प्रत्याशी के नाम और चुनाव चिन्ह के सामने का बटन दबाता है तो वीवपैट से एक पर्ची निकलती है. यह बताती है कि मतदाता ने जिस प्रत्याशी को वोट किया है, वोट उसे ही मिला है. वीवीपैट मशीन डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम के तहत काम करती है. आपने किस प्रत्याशी को वोट किया है यह वीवपैट मशीन से निकलने वाली पर्ची में दिखता है. यह पर्ची सात सेकेंड तक दिखती है फिर सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है. यह मशीन पूरी तरह से पैक और लॉक होती है. मतगणना के दिन इन पर्चियों का मिलान इलेक्ट्रॉनिक वोटों से किया जा सकता है.
ऐसे होता है वोटों और पर्ची का मिलान
मतगणना के दिन वोटों की गिनती में किसी प्रकार के विवाद होने पर प्रत्याशी की मांग पर वोटों और पर्ची का मिलान किया जाता है. अब सवाल उठता है कि मिलान कैसे होता है? क्या एक-एक वोट गिना जाता है? तो जवाब आसान है. एक ईवीएम में जितने वोट पड़े हैं ये काउंटिंग के दिन मशीन की रिजल्ट बटन दबाते ही पता चल जाता है कि किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले हैं. इसी आधार पर वीवीपैट की पर्चियों की गिनती कर ली जाती है. इससे स्थिति साफ हो जाती है.
इतने बूथ पर होगा पर्चियों का मिलान
इससे पहले हुए चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ एक बूथ पर पर्चियों का मिलान होता था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में 21 विपक्षी दलों ने याचिका दायर कर 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने की मांग की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभाओं के पाच बूथों पर ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किया जाए.
पहली बार यहां हुआवीवीपैटका इस्तेमाल
वीवीपैट का पहली बार इस्तेमाल कैलिफोर्निया के सार्कमेंटो शहर में हुए चुनाव में 2002 में हुआ था. इस वीवीपैट वाली मशीन को एवांते इंटनेशनल टेक्नोलॉजी ने बनाया था. अमेरिका में 27 राज्यों में वीवीपैट का इस्तेमाल आम चुनावों में होता है जबकि 18 राज्य इसे सिर्फ लोकल और विधानसभा चुनाव में ही अपनाते हैं. जबकि 5 ऐसे राज्य हैं जो वीवीपैट को नहीं अपनाते हैं.
2014 में सिर्फ 8, इस बार पूरी सीटों पर वीवीपैट
2014 के लोकसभा चुनाव की 543 सीटों में सिर्फ 8 सीटों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया. ये सीटें थीं लखनऊ, गांधीनगर, बेंगलुरू दक्षिण, चेन्नई सेंट्रल, जादवपुर, रायपुर, पटना साहिब और मिजोरम. साल 2017 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में आयोग ने 52,000 वीवीपैट का इस्तेमाल किया. जबकि गोवा के विधानसभा चुनाव की सभी सीटों पर वीवीपैट वाली ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था. 2019 लोकसभा चुनाव में हर बूथ पर ईवीएम के साथ वीवीपैट वाली मशीन लगी. इसमें से चुनाव आयोग 20625 ईवीएम पर लगी वीवीपैट का मिलान करेगा.

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