हसनपुर : रहमतों व बरकतों का महीना पवित्र रमजान माह का पहला अशरा पूरा हो गया है. दूसरे अशरे में शुक्रवार को पवित्र महीने के दूसरे शुक्रवार यानी जुमा की नमाज मस्जिदों अदा की गयी. मस्जिद जाने वाले रास्तों पर सफाई करायी गयी. समस्तीपुर कारी सद्दाम अली नदवी ने बताया रमजान के महीने में रोजा रखना, इफ्तार करना, इबादत, तरावीह, तरावीह पढ़कर सोना, सहरी करना, रमजान का दिन हो या रात हर वक्त इबादत होती रहती है.
उन्होंने ने बताया मस्जिद में रमजान के जुमे की अहमियत और भी बढ़ जाती है. हदीस शरीफ में है कि जो शख्स जुमे के दिन गुस्ल करता है तो उसके गुनाह माफ कर दिये जाते हैं. जब मस्जिद की तरफ वो शख्स चलता है तो हर कदम पर 20 वर्ष की इबादत का सवाब लिखा जाता है.
फिर जब जुमा पढ़ लेता है तो 200 वर्ष की इबादत का सवाब उसे मिलता है. हदीस शरीफ में यह भी है कि अल्लाह ने एक फरिश्ता पैदा किया है जो जुमे के दिन सजदा करता है और दुआ मांगता है कि इलाही उम्मते मुहम्म्मदिया में जो शख्स जुमा अदा करे उसके गुनाह माफ कर दे और उसके जवाब में अल्लाह तआला फरमाता है ए फरिश्तों तुम गवाह रहो मैंने जुमे की नमाज अदा करने वालों को ब़ख्श दिया.
जुमे की रात शुरू होने से लेकर पूरा दिन सूरज डूबने तक अल्लाह तआला 10 लाख गुनाहगारों को दोजख से आजाद कर देता है. बताते चलें रमजान के दूसरे शुक्रवार को बाजार के जामा मस्जिद, रामपुर मस्जिद, सपरी मस्जिद, शासन मस्जिद, पिरौना मस्जिद आदि लगभग दो दर्जन मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा की गयी.