कोलकाता : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच जुबानी जंग को लेकर तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की निकट संबंधी कृष्णा बोस का कहना है कि वैचारिक मतभेदों के बावजूद प्रधानमंत्री पद का सम्मान किया जाना चाहिए.
80 वर्ष से ज्यादा आयु की कृष्णा ने कहा कि मोदी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य सरकारें भी चुनी हुई होती हैं और उनके पास भी शक्तियां होती हैं. बोस ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैं भाजपा की विचारधारा से असहमत हो सकती हूं, लेकिन चूंकि नरेंद्र मोदी देश के चुने हुए प्रधानमंत्री हैं, इसलिए मुझे उनके प्रति सम्मान रखना होगा.’
उन्होंने कहा कि मैं देश के प्रधानमंत्री के रूप में उनका सम्मान करती हूं, न कि एक ऐसी पार्टी के मुखिया के तौर पर जिससे मैं सहमति नहीं रखती. मोदी के ममता को ‘स्पीड ब्रेकर दीदी’ कहने और ममता की ‘एक्यपायरी प्राइम मिनिस्टर’ वाली टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए चार बार लोकसभा सांसद रहीं बोस ने कहा कि यह पूरी तरह से गैरजरूरी बयान हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसी टिप्पणियों को चुनाव अभियान के एक भाषण के हिस्से के तौर पर नहीं देखती कि कौन स्पीड ब्रेकर है या कौन अब प्रधानमंत्री नहीं रह गया है. यह उससे कहीं ज्यादा गंभीर बात है… लेकिन मैं नहीं समझती कि दोनों ओर से इस तरह के बयान दिये जाने चाहिये थे… अन्यथा एक संघीय सरकार उचित तरीके से काम नहीं कर पायेगी. दोनों सरकारें चुनी हुई हैं.’