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अग्निशमन विभाग के पास खुद का भवन नहीं, कर्मियों की कमी

बक्सर : जिले में कहीं भी किसी वक्त घर, होटल व दुकान में आग लगने पर उसकी सुरक्षा करने वाला अग्निशमन विभाग खुद असुरक्षित है. विभाग के पास खुद का अपना भवन नहीं है. इसका कार्यालय बाजार समिति के गार्ड रूम में चलता है. गार्ड रूम में वर्षों से चल रहे अग्निशमन का भवन भी […]

बक्सर : जिले में कहीं भी किसी वक्त घर, होटल व दुकान में आग लगने पर उसकी सुरक्षा करने वाला अग्निशमन विभाग खुद असुरक्षित है. विभाग के पास खुद का अपना भवन नहीं है. इसका कार्यालय बाजार समिति के गार्ड रूम में चलता है. गार्ड रूम में वर्षों से चल रहे अग्निशमन का भवन भी जर्जर हो चुका है. छत की सिलिंग जगह-जगह से दरक गयी हैं.

आये दिन सिलिंग टूटकर नीचे गिरने से कर्मचारी भी भयभीत रहते हैं. मात्र चार छोटे से कमरे में यह विभाग चलता है. बारिश होने पर छत से पानी टपकता है. कमरों की घोर कमी है. इस कारण अग्निशमन के एक छोटे से कमरे में कार्यालय का काम किया जाता है. एक दर्जन कर्मचारी इसी भवन में किसी तरह गुजर बसर करते हैं. भवन के मुख्य द्वार से सटे दीवार से झोंपड़ी लगाकर खाना बनाने का काम करते हैं.
अग्नि शमालय पदाधिकारी बीके चौधरी ने कहा कि कमरों की कमी के कारण विभागीय कार्य छोटे से रूम में किया जाता है. जिससे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. आवश्यक संसाधनों का अभाव है.उन्होंने कहा कि कार्यालय के लिए इटाढ़ी रोड में जमीन मिल गयी है.उम्मीद है शीघ्र ही काम प्रारंभ होगा. अग्निशमन विभाग के कार्यालय परिसर में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों में पानी भरने के लिए बोरिंग है.
अग्निशमन विभाग में कर्मचारियों का घोर अभाव है. इस कारण अगलगी की घटना घटित होने पर विभाग को परेशानियों से जूझना पड़ता है. अग्नि शमालय पदाधिकारी बीके चौधरी ने बताया कि बक्सर स्थित अग्निशमन विभाग में मात्र सात कर्मचारियों का पद स्वीकृत है. जबकि डुमराव स्थित अग्निशमन विभाग में तेरह कर्मचारियों का पद स्वीकृत है. बक्सर के अग्निशमन विभाग में हवलदार का पद वर्षों से रिक्त है.
इस पर बहाली नहीं होने से भी कार्य प्रभावित होता है. उनकी मानें तो बक्सर और डुमरांव में फायर ब्रिगेड की तीन-तीन गाड़ियां है. जिसकी क्षमता 4 सौ, दो हजार और छह हजार लीटर की है. मगर ताज्जुब की बात यह है कि बक्सर में तीन फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की जिम्मेवारी मात्र दो ड्राइवर के भरोसे है. एक फायर ब्रिगेड ड्राइवर के अभाव के कारण कहीं भी अगलगी की घटना होने पर बेकार में खड़ी रहती है.
इन जगहों पर उपलब्ध है एमटी वाहन :अग्निशमन विभाग की मानें तो राज्य सरकार की ओर से बक्सर जिला के मुफस्सिल थाना, राजपुर, धनसोई, इटाढ़ी, सोनवर्षा, सिमरी, डुमरांव, ब्रह्मपुर, नैनीजोर में एमटी वाहन वाहन की उपलब्ध है. जो अग्निकांड की जानकारी मिलते ही मौके पर भेजी जाती है.
विभाग ने तीन करोड़ की संपत्ति बचायी: अग्निशमन विभाग विभाग के आंकड़े के अनुसार विगत तीन साल में आग लगने की सौ से अधिक सूचनाएं आयीं. इस दौरान अग्निशमन विभाग ने चार दर्जन से अधिक लोगों और सैकड़ों पशुओं की जान बचाने के साथ ही तकरीबन तीन करोड़ रुपये की संपत्ति भी बचायी. अग्निशमालय पदाधिकारी बीके चौधरी ने कहा कि लोगों के बीच में आग से बचाव करने को लेकर समय-समय पर विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाता है.
कबाड़ में तब्दील हो रही हैं फायर ब्रिगेड की गाड़ियां
बेकार हो चुकी फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियां कबाड़ में तब्दील हो गयी है.मगर विभागीय कार्रवाई नहीं होने के चलते गाड़ियां सड़ रही हैं. अग्नि शमालय पदाधिकारी बीके चौधरी ने बताया कि तीनों गाड़ियों की नीलामी की प्रक्रिया के लिए विभागीय अधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है.गृह रक्षावाहिनी एवं अग्निशमन सेवा पटना के उप महानिरीक्षक सह उप समादेष्टा की अनुमति मिलते ही नीलामी की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जायेगी.
दो माह से खराब है विभाग की लैंड लाइन
दो माह से शहर के बाजार स्थित अग्निशमन विभाग का लैंडलाइन खराब है. जिस कारण कहीं से अगलगी की सूचना टेलीफोन के माध्यम से नहीं मिल पाता है. विभागीय टेलीफोन को ठीक करने के लिये बीएसएनएल विभाग के अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया.
मगर खराब हुए टेलीफोन अब तक दुरुस्त नहीं हो सका है. हां यह जरूर है कि अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों के मोबाइल नंबर जनहित में जारी किये गये हैं, जिस पर अगलगी की घटना की जानकारी मिलने पर तत्काल मौके पर अग्निशमन की गाड़ियां भेजी जाती है.
एक जनवरी से लेकर अभी तक दो दर्जन अगलगी की हो चुकी हैं घटनाएं
1 जनवरी 2019 से लेकर अभी तक जिले में दो दर्जन अगलगी की छोटी-बड़ी घटनाएं हो चुकी है, जिसमें लाखों रुपये की जान-माल की क्षति पहुंची है. हाल के दिनों में नैनीजोर पंचायत में लालू के डेरा व प्रबोधपुर गांव में ही तकरीबन सवा सौ गरीबों का घर जलकर राख हो गये.
लालू के डेरा गांव में गत माह में हुई अगलगी की घटना से पीड़ित परिजन तो अभी तक उससे उबर नहीं सके हैं. वे आज भी खुले आसमान के नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं. वहीं गत दो माह पहले बन्नी गांव में अगलगी की घटना में पांच लाख का धान जलकर राख हो गया. जबकि इसी साल राजपुर के सरेंजा गांव में अगलगी से आधा दर्जन जानवर झुलसकर मर गये, जिसमें लगभग पांच लाख की क्षति पहुंचा.

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