मुंबई : रिजर्व बैंक ने संकट में फंसी आईएलएफएस को लेकर बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों को जारी परिपत्र वापस ले लिया है. इस परिपत्र को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के बाद वापस लिया गया है. इसमें बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों को आईएलएफएस में किये गये निवेश और प्रावधानों के बारे में विस्तृत घोषणा करने को कहा गया था.
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पिछले सप्ताह अपीलीय न्यायाधिकरण ने बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएफएस) तथा उसकी समूह की कंपनियों से कर्ज नहीं लौटने वाले खातों को फंसे कर्ज के रूप में घोषित करने की अनुमति दे दी. आरबीआई ने बुधवार को कहा कि एनसीएलएटी के दो मई, 2019 के आदेश को देखते हुए 24 अप्रैल को जारी परिपत्र को वापस लिया जाता है.
परिपत्र में बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों से आईएलएफएस तथा उसकी समूह की इकाइयों को दिये गये कर्ज के बारे में घोषणा करने को कहा गया था. नकदी संकट में फंसे आईएलएफएस समूह के ऊपर 94,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. समूह की कई कंपनियों ने कर्ज पर ब्याज भुगतान में चूक की है.
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