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खूंटी : पत्थलगड़ी वाले इलाकों में चुनावी गूंज, दुरुह बूथों तक पहुंचे वोटर, जहां जलाये थे वोटरकार्ड, वोट के लिए लगी थी लंबी कतार

खूंटी के गांव से लौटकर आनंद मोहन-सतीश कुमार दुरुह जंगल़ घनघोर जंगल के बीच से निकलती संकरी उबड़-खाबड़ सड़क, पहाड़ पर पुलिस का कैंप़ नीचे तलहटी में प्राथमिक विद्यालय कोचांग. चारों तरफ कंटीले तार से घेराबंदी, सीआरपीएफ का बेजोड़ पहरा़ दिन में भी कोई अनजान रूकता, तो पुलिस पूछती : कौन? इधर से आवाज नहीं […]

खूंटी के गांव से लौटकर

आनंद मोहन-सतीश कुमार

दुरुह जंगल़ घनघोर जंगल के बीच से निकलती संकरी उबड़-खाबड़ सड़क, पहाड़ पर पुलिस का कैंप़ नीचे तलहटी में प्राथमिक विद्यालय कोचांग. चारों तरफ कंटीले तार से घेराबंदी, सीआरपीएफ का बेजोड़ पहरा़ दिन में भी कोई अनजान रूकता, तो पुलिस पूछती : कौन? इधर से आवाज नहीं आती : दोस्त, तो फिर अंदर आने की इजाजत नहीं होती़ यह पुलिस वाले लोकतंत्र के प्रहरी थे़ वोटरों की वाट जोह रहे थे़ यह था खूंटी के मतदान केंद्र -144 कोचांग का बूथ़

छह मई को यहां लोकतंत्र का मेला लगा था़ दिन के 12़ 25 बजे 989 वोटरों के इस मतदान केंद्र में 155 वोट पड़ चुके थे़ यह वही कोचांग है, जो आज से साल भर पहले सुलग रहा था़ पत्थलगड़ी को लेकर खूंटी का पूरा इलाका अशांत था़ वोटर कार्ड, आधार कार्ड जलाये जा रहे थे़ व्यवस्था से लोग टकराने के लिए तैयार थे़ सरकारी सुविधा नहीं लेने की बात हो रही थी़ गांव-गांव में पत्थलगड़ी कर स्वशासन की बात हो रही थी़ आज उस इलाके में आदिवासियों ने लोकतंत्र के महापर्व में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया़

ग्रामीण चार-चार किलोमीटर पैदल चलकर वोट देने पहुंचे़ सलगा और सापारू के दो गांव को छोड़ दें, तो जंगल के चप्पे-चप्पे में लोकतंत्र की गूंज थी़

चुनावी रंग में पुरानी बातें घुली

प्रभात खबर की टीम ने अड़की, खूंटी, तमाड़ के पत्थलगड़ी की परंपरा शुरू करनेवाले गांवों का चुनावी रंग देखने के लिए दौरा किया़

टीम दर्जनों गांव पहुंची़ पहाड़, जंगल से घिरे इस इलाके में चुनाव के दिन पत्थलगड़ी का शोर नहीं है़ सड़क के किनारे जगह-जगह पर बड़े-बड़े पत्थरों पर उकरे पत्थलगड़ी के शब्द अब भी हैं, लेकिन चुनावी रंग में पुरानी बातें घुल गयी है़ प्रभात खबर की टीम मुरमू के जंगल के बीच हेठगोवा स्कूल में बने बूथ पर पहुंची़ यहां महिलाओं की लंबी कतार लगी थी़ बीएसएफ के जवान इस बूथ पर तैनात थे़

ग्रामीण बेखौफ वोट देने के लिए पहुंच रहे थे़ इस बूथ पर सुबह 10 बजे तक 148 वोट पड़ चुके थे़ नौजवानों से बात शुरू हुई, तो कहा : वोट काहे नहीं करेंगे़ पूरा गांव आयेगा़ पेंशन से लेकर शौचालय तक की योजनाओं की जानकारी है़ गांव तक योजनाएं भी पहुंची है़ं

इसके बाद टीम डोलड़ा पहुंची़ मतदान केंद्र के बाहर एक 70 वर्ष की बुजुर्ग महिला सोमवारी बैठी थी़ वोट देकर सुकून के साथ थकान मिटा रही थी़ पूछने पर कहा : सुबह ही घर से निकले थे़ वह दो किलोमीटर पैदल चल कर पहुंची थी़ वोट डालने के लिए सोमवारी का जज्बा ही लोकतंत्र की जीत की कहानी बयां कर रहा था़

चलकद में भी दिखा लोकतंत्र का कारवां

इसके बाद टीम भगवान बिरसा मुंडा का ननिहाल चलकद पहुंची़ बूथ के बाहर बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा लगी थी़ एक-एक कर लोग आ रहे थे और वोट कर रहे थे़

जंगल की गोद में बसा यह खूबसूरत गांव लोकतंत्र का कारवां आगे बढ़ा रहा था़ चलकद में तुबिद, कटुंगा सहित कई गांवों के वोटरों का बूथ था़ बगल में ग्राम प्रधान का घर था़ बिरसा की वीर गाथा पर बात होती, तो आंखें चमक जाती़ वह बताते कि किस तरह से भगवान बिरसा ने अपने बचपन इस गांव में गुजारे़ पूरा गांव चुनाव को लेकर उत्साहित था़ इस गांव में सीआरपीएफ का कैंप लगा था़

चाक-चौबंद सुरक्षा की व्यवस्था थी, लेकिन ग्रामीण बेखबर वोट डालने पहुंच रहे थे़ इसके कोचांग के रास्ते सिंजरी में टीम रूकी, तो वही नजारा था़ कोचांग से अड़की तक नजारा बदला-बदला था़ पूरा इलाका संवेदनशील है, तो पुलिस की व्यवस्था थी़ सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन के जवान पूरे रास्ते जंगल में तैनात थे़ मोटरसाइकिल से पुलिस की पेट्रोलिंग हो रही थी़ इस रास्ते में एक मेडिकल टीम भी मिली़ इसमें डॉ स्वाति मुर्मू के साथ नर्सों की टीम पूरे इलाके का दौरा कर लौट रही थी़

टोडांग के वोटरों ने सारे भ्रम तोड़े

कोचांग से अड़की के जर्जर रास्ते से निकलते हुए टीम टोडांग पहुंची़ पूरा इलाके में एक समय पत्थलगड़ी को लेकर संशय था, लेकिन वोटरों ने सारे भ्रम तोड़ दिये थे़ भरी दुपहरिया में टोडांग के बूथ पर महिलाओं और बुजुर्ग वोट के लिए लाइन में थे़

कतार में एतवारी कुमारी, बहामी कुमारी, बलराम सिंह मुंडा को वोट देने का इंतजार थ़ा दोपहर तक इस बूथ में 349 वोट पड़ चुके थे़ उधर सफर आगे बढ़ी, तो वीरबांकी चौक का नजारा बदला-बदला मिला़ चौक पर दर्जनों दुकान सजे थे़ पत्थलगड़ी के समय की खामोशी टूट चुकी थी़ लोग बढ़चढ़ कर मतदान में हिस्सा ले रहे थे़

उलिडीह में हो रहा था वोटरों का इंतजार

वीरबांकी से अड़की होते हुए टीम खूंटी-तमाड़ हाइवे पर पहुंची, तो सड़क के किनारे उलिडीह का बूथ था़ यहां मात्र 87 वोट पड़े थे़ मतदानकर्मी और पुलिस वाले वोटरों का इंतजार कर रहे थे़ वोटरों के नहीं पहुंचने की वजह पूछने पर लोग खामोश थे़

इसी के बगल में पत्थलगड़ी की मुहिम को आगे बढ़ानेवाले यूसुफ पूर्ति का गांव है, लेकिन लोग वोटिंग कम होने की वजह का सीधा जवाब देने के लिए तैयार नहीं थे़ इसके बाद टीम हाइवे के दूसरे किनारे मरांगाहातू के रास्ते पर निकली़ इस सूचना के साथ कि उधर भी कम वोट पड़ रहे है़ं इस रास्ते लुपुंगडीह के स्कूल में बूथ था़ दिन के 3़ 21 बजे यहां 663 वोट पड़ चुके थे़

सलगा बूथ पर सूचना मिली कि यहां सलगा, स्कूल टोली, बड़ा सलगा और जरदाग का वोट पड़ रहा है, लेकिन स्कूल टोली से वोटराें के नहीं पहुंचने की सूचना मिल रही थी़ वहीं सापाराेम के बूथ में 3़ 40 तक 406 वोट पड़ चुके थे, लेकिन इस बूथ में कुदाहातू गांव के चार ही वोट पड़े थे़ एक-दो गांव छोड़ दें, तो खूंटी का यह पूरा इलाका चुनावी उत्सव में डूबा रहा़ पत्थलगड़ी के हलचल से शांत जंगल की गोद में बसे गांवों ने चुनाव में अपनी भूमिका निभायी़

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