वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को चीन पर दबाव बढ़ाते हुए 200 अरब डॉलर के चीनी सामान आयात पर शुल्क दर बढ़ाने की धमकी दी. ट्रंप ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि आगामी शुक्रवार से वह चीन से आयात किये जाने वाले 200 अरब डॉलर के सामान पर शुल्क दर 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर देंगे. यह घोषणा ऐसे समय हुई है, जब इस हफ्ते बुधवार को वाशिंगटन में चीन और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता फिर शुरू होनी थी.
इसे भी देखें : 200 अरब डॉलर के चीनी उत्पाद पर दोगुने से भी अधिक आयात शुल्क लगायेगा अमेरिका
खबरों के अनुसार, इस सिलसिले में चीन के उप प्रधानमंत्री लियू ही की अध्यक्षता में 100 सदस्यों का एक उच्च स्तरीय चीनी प्रतिनिधि मंडल के इस बैठक में शामिल होने वाला था. इस बैठक का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध का समाधान ढूंढना है, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था की चिंताओं को दूर किया जा सके. व्यापार वार्ता में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए ट्रंप चीन के खिलाफ शुल्क बढ़ाने की समय सीमा दो बार जनवरी और मार्च में आगे खिसका चुके हैं, लेकिन रविवार को ट्रंप ने कहा कि वह अपना धैर्य खो रहे हैं. उन्होंने खुद को ‘ट्रैरिफ मैन'(प्रशुल्ककर्मी) बताया.
ट्रंप ने ट्वीट में कहा कि चीन के साथ व्यापार वार्ता बहुत धीमी रफ्तार से चल रही है, क्योंकि वह उस पर फिर से बात करना चाहते हैं. ट्रंप ने ट्वीट में लिखा नहीं! (मंजूर नहीं). चीन के खुद को एक तकनीकी महाशक्ति के तौर पर स्थापित करने को लेकर दोनों देशों के बीच बड़ा तनाव चल रहा है. अमेरिका का आरोप है कि इसके लिए चीन दूसरों का बजार खराब करने जैसे तरीके इस्तेमाल कर रहा है. इसमें साइबर सेंधमारी से लेकर कंपनियों पर जबरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का दबाव जैसे तरीके भी शामिल हैं.
दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधी विवादों के समाधान के लिए वार्ता पिछले साल दिसंबर से शुरू हुई थी. ट्रंप ने चीन पर पिछली जुलाई से प्रशुल्कीय कार्रवाई शुरू कर दी थी, ताकि वे चीन पर नीति बदलने का दबाव पैदा कर सकें. अमेरिका इस समय चीन के 200 अरब डॉलर के सामान पर 10 फीसदी तथा कुछ अलग किस्म के 50 अरब डॉलर के सामान पर 25 फीसदी की दर से शुल्क लगाता है. अमेरिका की तरफ से चीन के साथ व्यापार वार्ता प्रगति के संकेत दिये जा रहे थे.
ट्रम्प ने एक महीने पहले कहा था कि दोनों देश इस दौर को पूरा करने में लगे हैं और कुछ एक सप्ताह में ‘कोई ऐतिहासिक’ उपलब्धि होगी, लेकिन वित्त मंत्री स्टीफन म्यूचिन ने पिछले सप्ताह कहा कि अमेरिका को यदि लगेगा कि वह अपनी पसंद का कोई समझौता हासिल कर सकता है, तो वह उसके लिए आगे बढ़ने को तैयार है. उनकी बात से लगा कि यह उम्मीदों की उड़ान पर अंकुश लगाने का प्रयास है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.