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पढ़ें पूरा इंटरव्यू : राजनीति में फंस गइलन निरहुआ भैया ?

भोजपुरी सिनेमा के जुबली स्‍टार दिनेश लाल यादव निरहुआ चुनावी मैदान में उतरे हैं. वे भाजपा के टिकट पर उत्‍तर प्रदेश के आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से होने वाला है. प्रभात खबर डॉट कॉम ने अपनी चुनावी यात्रा में निरहुआ से बातचीत की. पढ़ें संवाददाता […]

भोजपुरी सिनेमा के जुबली स्‍टार दिनेश लाल यादव निरहुआ चुनावी मैदान में उतरे हैं. वे भाजपा के टिकट पर उत्‍तर प्रदेश के आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से होने वाला है. प्रभात खबर डॉट कॉम ने अपनी चुनावी यात्रा में निरहुआ से बातचीत की. पढ़ें संवाददाता पंकज कुमार पाठक की निरहुआ से खास बातचीत की.

इस इंटरव्‍यू में निरहुआ ने चुनावी मुद्दों से लेकर इस बात का भी खुलासा किया कि वे चुनावी मैदान में क्‍यों उतरे हैं.

लोग कह रहे हैं निरहुआ भैया राजनीति में फंस गये ? क्‍या कहना चाहेंगे.

(मुस्‍कुराते हुए) मैं राजनीति में फंसा नहीं हूं, जो फंसे हैं उनका उबारने आया हूं. मुझे लगता है कि लोकतंत्र में हर व्‍यक्ति को इस बात की आजादी मिली है कि आप अपना मत रखें, आप अपनी राय रखें, लेकिन यहां लोग किसी जाति में बंधकर, किसी के दबाव में आकर, डर से या तो वोट देते हैं या वोट करने नहीं जाते. मैं लोगों को उनके अधिकार के बारे में बताने आया हूं. मैं यह नहीं कहता के मुझे ही वोट दीजिये, लेकिन अपने अधिकार का प्रयोग करिये. आपको जो सही लगे उस व्‍यक्ति को वोट दीजिये.

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राजनीति एक अभिनेता के लिए कितनी मुश्किल है ?

मुझे लगता है कि राजनीति में थोड़ा बदलाव होना चाहिये. एक नेता को जनता के बीच जाना चाहिये और यह पूछना चाहिये कि आपको क्‍या अच्‍छा लगता है? आपको क्‍या सही लगता है ? आप एक स्‍वतंत्र हिंदुस्‍तानी हो. आपकी राय बहुत मायने रखती है. जो आपको सही लगता वही कीजिये, गलत का साथ मत दीजिये. हर नेता को जनता को बताया चाहिये कि आप सच को साथ दीजिये और गलत का विरोध किजिये.

आप गाजीपुर के रहनेवाले हैं क्‍या आपको वहां से चुनाव लड़ना ज्‍यादा आसान होता ?

मैं चुनाव जिस नीयत से लड़ने आया हूं उससे स्‍पष्‍ट होगा कि मैं जीतूंगा या नहीं. आज यह देश चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी फिर से प्रधानमंत्री बनें, मैं उनका साथ देने के लिए आया हूं. जो लोग उन्‍हें रोकना चाहते हैं मैं उनका विरोध करने आया हूं. आजमगढ़ हो, गाजीपुर हो, भारत का कोई भी हिस्‍सा हो, मुझे जहां से टिकट मिलता मैं जीत जाता.

चुनावी मैदान में आपकी टक्‍कर अखिलेश यादव से है ? इसे कैसे देखते हैं.

कोई टक्‍कर नहीं. वह (अखिलेश यादव) जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं वह खुद के लिए ही चुनौती बन गये हैं. क्‍योंकि वह देश की राय के विपरीत चल रहे हैं. मुश्किल उन्‍हें होती है जो धारा के विपरीत चलता है जो धारा के साथ चल रहा है उसे कोई दिक्‍कत नहीं. इसलिए कोई मुश्किल नहीं है.

आपके भाई विजय लाल यादव सपा के लिए प्रचार कर रहे हैं, क्‍या कहना चाहेंगे ?

बहुत अच्‍छी बात है. मेरे भाई भी जाने-अनजाने जनता को सही बात बता रहे हैं कि आपका भाई है इसलिए उसका साथ मत दो, जो आपको सही लगता है उसे चुनो.

आपको फिल्‍म से राजनीति में आने का फायदा मिल रहा है, क्‍या इसका असर आपकी फिल्‍मों पर भी पड़ेगा ?

मैं फायदा और नुकसान देखकर रजनीति में नहीं आया हूं. अगर मैं फायदे के लिए आया होता तो कहीं न कहीं मुझे डर होता नुकसान का. मैं यह सोचकर आया हूं कि मेरा देश आज शक्तिशाली हो रहा है, मेरा देश बदल रहा है, लोग तरक्‍की कर रहे हैं. यह तरक्‍की रूके नहीं और प्रधामंत्री मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बनें, मैं यह सोचकर राजनीति में आया हूं. इसमें नफा और नुकसान की कोई बात नहीं.

21 अप्रैल को नामांकन के बाद अखिलेश यादव प्रचार के लिए आजमगढ़ नहीं आये, इसे आप कैसे देखते हैं ?

अखिलेश यादव बहुत बड़े नेता है. उनके पास समय नहीं है कि वे मेरी तरह गांव-गांव में जाकर प्रचार करें. इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन उन्‍हें इस बात का भी ध्‍यान रखना चाहिये कि, अगर उनके पास लोगों से वोट मांगने तक का समय नहीं है तो क्‍या जीतने के बाद उनके पास लोगों की समस्‍याएं सुनने का समय होगा. वे भी जानते हैं कि उनके पास नहीं होगा. इससे पहले नेताजी भी आये थे, चुनाव लड़े और फिर 5 साल तक दिखाये नहीं दिये. यहां तक कि अपना प्रमाण पत्र भी लेने नहीं आये. इसलिए मैं समझता हूं कि अखिलेश यादव को आजमगढ़ से चुनाव नहीं लड़ना चाहिये क्‍योंकि वे यहां के लोगों को समय नहीं दे पायेंगे.

आप जनता को समय दे पायेंगे. फिल्‍मों से समय निकाल पायेंगे ?

मैं बिल्‍कुल जनता को समय दे पाऊंगा. मैं फिल्‍में बनाता हूं और फिल्‍में बनाने के लिए मुझे आजमगढ़ से बेहतर जगह कोई नहीं लगती. जब मैंने अपना प्रोडक्‍शन हाउस खोला था तो 8 फिल्‍मों की शूटिंग आजमगढ़ में ही की थी. मेरा गांव गाजीपुर, आजमगढ़ के पास है लेकिन मैंने वहां शूटिंग नहीं की. जिस तरह का माहौल और लोकेशन मुझे चाहिये वो आजमगढ़ में हैं. मेरे लिए आसान है मैं यहां फिल्‍म भी बनाऊंगा और अपने लोगों के बीच भी रहूंगा. उनकी समस्‍याएं भी सुनूंगा.

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