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ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र व राहु के महासंयोग से मनेगी अक्षय तृतीया

गोगरी : अक्षय तृतीया सात मई को कई दुलर्भ संयोग बन रहा है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाने वाली यह तिथि इस बार अत्यंत ही शुभकारी और सौभाग्यशाली मानी गई है. इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन मांगलिक कार्यों से […]

गोगरी : अक्षय तृतीया सात मई को कई दुलर्भ संयोग बन रहा है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाने वाली यह तिथि इस बार अत्यंत ही शुभकारी और सौभाग्यशाली मानी गई है.

इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन मांगलिक कार्यों से लेकर कोई भी शुभ काम बिना किसी मुहूर्त के कर सकते हैं.इस साल आने वाली अक्षत तृतीया अपने आप में खास है. दरअसल, इस बार अक्षय तृतीया पर चार ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है, जो लोगों के लिए शुभकारी होगा.
गोगरी के भोजुआ निवासी पंडित ज्योतिषाचार्य सुभम सावर्ण ने बताया कि अक्षय तृतीया शुभ काम के लिए अति उतम मुहूर्त होता है.इस दिन किए गए काम कभी व्यर्थ नहीं जाते.पुराणों के अनुसार, त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन से माना जाता है.भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था.
कहा जाता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थी, यही कारण है कि इस दिन गंगा स्नान का चलन भी है.
मानव जीवन पर होगा बेहतर प्रभाव : पंडित सुभम सावर्ण नें बताया कि इस साल अक्षय तृतीया का अद्भुत संयोग बन रहा है.ऐसा पूरे एक दशक के बाद हो रहा है.इससे पहले 2003 में पांच ग्रहों का ऐसा योग बना था और इस साल एक बार फिर संयोग बनेगा.इस बार चार ग्रह सूर्य, शुक्र चंद्र और राहु अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे.इससे मानव जीवन पर इनका बेहतर प्रभाव होगा.कुंडली के हिसाब से ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं.
सोना-चांदी के आभूषण खरीदने का प्रचलन : अक्षय तृतीया के दिन सोना या चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है.इस दिन कई लोग घर में बरकत के लिए सोने या चांदी के की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते हैं और नियनित पूजा करते हैं.
दान करने की भी परंपरा : इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए ब्राह्मण को जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि दान करना चाहिए. माना जाता है कि कन्या दान सभी दान में महत्वपूर्ण है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन शादी-विवाह के विशेष आयोजन होते हैं.
व्रत में नमक का सेवन वर्जित :
इस पावन तिथि का महत्व समझाते हुए माता पार्वती कहती हैं कि यदि कोई भी स्त्री यदि सभी प्रकार के सुखों को पाना चाहती है तो उसे यह व्रत करते हुए किसी भी प्रकार का सेंधा आदि व्रती नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.महाराज दक्ष की पुत्री रोहिणी ने यही व्रत करके अपने पति चन्द्र की सबसे प्रिय रहीं.उन्होंने बिना नमक खाए यह व्रत किया था.

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