नयी दिल्ली : पाकिस्तान में आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने, भारत में आतंकवादी हमले कराने वाला मसूद अजहर को अब चीन भी नहीं बचायेगा. ज्यादा दिन तक यह खूंखार आतंकवादी सलाखों से बाहर नहीं रह सकेगा. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र बुधवार को वैश्विक आतंकवादी (ग्लोबल टेररिस्ट) घोषित कर सकता है. इसके बाद उसके ‘बुरे दिन’ शुरू हो जायेंगे.
भारत के वैश्विक कूटनीतिक दबाव के आगे चीन भी अपना ‘वीटो’ का हथियार रखने के लिए तैयार हो गया है. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण 1267 समिति की बैठक से पहले चीन ने संकेत दे दिये हैं कि वह अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचाने के लिए जो अड़ंगा लगा रहा था, उस पर पुनर्विचार करेगा. इसलिए आतंकी सरगना के खिलाफ किसी बड़े फैसले की उम्मीद जगी है.
भारत लगातार चीन पर कूटनीतिक दबाव बना रहा था. यदि चीन पीछे हटता है, तो इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जायेगी. ज्ञात हो कि भारत ने तीन साल में कई बार अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की मांग संयुक्त राष्ट्र में उठायी. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसे देशों ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन चीन हर बार तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए अजहर की ढाल बनकर खड़ा हो गया.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले में जब 40 जवानों की मौत हुई, तो अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने अजहर पर कड़ा रुख अख्तियार करने का चीन पर दवाब बनाया. मंगलवार को चीन ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मामले में वैश्विक निकाय की प्रतिबंध समिति में प्रासंगिक विचार-विमर्श जारी है और मामले में ‘थोड़ी प्रगति’ हुई है.
दरअसल, अभी तक भारत के जिन दुश्मनों को ग्लोबल आतंकी बनाया गया है, उसमें लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद शामिल है. हाफिज सईद पर जम्मू-कश्मीर नहीं, मुंबई में हमला करने का आरोप है, लेकिन मौलाना मसूद अजहर का मामला इससे अलग है.
अहम है कश्मीर फैक्टर
जम्मू-कश्मीर में हिंसा की वजह से ग्लोबल आतंकी घोषित किया जाना एक बड़ी घटना है, क्योंकि इस क्षेत्र को पूरी दुनिया अभी तक विवादित मानती रही है. हर बार ये संदेश देती रही है कि इस विवाद को पहले दोनों देशों को बातचीत कर सुलझाना चाहिए.
इतना ही नहीं, पाकिस्तान भले ही दूसरे देशों से मदद मांगता रहा हो, लेकिन भारत किसी भी तीसरे देश की एंट्री का विरोध करता रहा है. हालांकि, भारत ने हर बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान की जमीन का ही इस्तेमाल हो रहा है.
पाकिस्तान भी लगातार इस बात का विरोध कर रहा था कि अगर पुलवामा के साजिशकर्ताओं के नाम से जैश-ए-मोहम्मद का नाम हटता है, तो वह भी ग्लोबल आतंकी घोषित करवाने में सहयोग करेगा.
कश्मीर से जुड़ा है मसूद का काला चिट्ठा
पाकिस्तान निवासी मसूद अजहर का पूरा इतिहास जम्मू-कश्मीर से ही शुरू होता है, फिर चाहे वह कंधार कांड हो या फिर अब पुलवामा में हुआ बड़ा आतंकी हमला. दरअसल, 90 के दशक से ही मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में एक्टिव रहा है. वर्ष 1994 में उसे श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था. मगर, कंधार कांड के बाद भारत सरकार को उसे रिहा करना पड़ा था. उसी के बाद से वह भारत के लिए सिरदर्द बन गया.
पाकिस्तान ने मांगे थे सबूत
मसूद अजहर पर बैन लगाने के लिए चीन और पाकिस्तान तैयार नहीं थे. मंगलवार को ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का बयान आया कि उन्हें भारत से इस बात का सबूत चाहिए कि पुलवामा हमले में अजहर का हाथ था. मंत्रालय ने कहा था कि इसके बाद ही वह उस पर बैन लगाने के बारे में सोचेंगे.
लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा असर
अजहर पर चीन का कोई बड़ा फैसला लेना भारत के चुनाव पर भी असर डालेगा. माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फैसले को सरकार के पक्ष में आने पर इसे भुनाने की पूरी कोशिश करेगी. ऐसे में चीन जरूर चाहेगी कि ब्लॉकिंग हटाने पर कोई फैसला चुनाव के बाद ले, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, और फ्रांस के दबाव के बीच ऐसा मुश्किल लग रहा है.
मसूद ने कई हमले कराये
भारत से रिहा होने के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नाम का संगठन बनाया, जिसने अभी तक हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है. इसकी सूची इस प्रकार है :
2001 में संसद पर हमला
2016 में पठानकोट हमला
2019 में पुलवामा आतंकी हमला
ये वो आतंकी हमले हैं, जिनका ध्यान पूरी दुनिया की तरफ गया. इसके अलावा भी कश्मीर में रोजाना जो छोटे आतंकी हमले होते हैं या सेना के साथ मुठभेड़ होती है, उसमें भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल रहते हैं. कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए ये जीत ऐतिहासिक होगी, क्योंकि पहली बार किसी आतंकी को जम्मू-कश्मीर में किसी हमले के लिए जिम्मेदार मानकर उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया जायेगा.