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भारी किराया ने बनाया यात्रियों को पराया

सिलीगुड़ी- रंगटंग के बीच ट्वॉय ट्रेन बंद चुनावी मौसम में पर्यटकों का भी अकाल अब नयी रणनीति बनाने में जुटा रेलवे किराया कम करने पर हो रहा है विचार सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग तक चलने वाली विश्व धरोहर ट्वॉय ट्रेन की सेवा बीच-बीच में बाधित होती रहती है. कभी पहाड़ पर आंदोलन तो कभी […]

सिलीगुड़ी- रंगटंग के बीच ट्वॉय ट्रेन बंद

चुनावी मौसम में पर्यटकों का भी अकाल
अब नयी रणनीति बनाने में जुटा रेलवे
किराया कम करने पर हो रहा है विचार
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग तक चलने वाली विश्व धरोहर ट्वॉय ट्रेन की सेवा बीच-बीच में बाधित होती रहती है. कभी पहाड़ पर आंदोलन तो कभी भूस्खलन और बारिश से पटरियों के नुकसान के कारण ट्वॉय ट्रेन का परिचालन बंद करना पड़ता है. जबकि देशी-विदेशी पर्यटकों में इस ट्रेन की लोकप्रियता कम नहीं हुयी है.
जो भी दार्जिलिंग आता है वह एक बार पहाड़ों की इस रानी की सवारी करना जरूर चाहता है. हांलाकि विभिन्न कारणों से सेवा बाधित के कारण पर्यटक काफी निराश होते थे. इसी समस्या को दूर करने के लिए दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचएआर) ने एक नयी तरकीब निकाली. पर्यटकों को निराश होकर लौटना ना पड़े इसके लिए सिलीगुड़ी में ही इस ट्रेन की सवारी कराने का मौका पर्यटकों को देने का निर्णय लिया गया. इसके लिए पिछले वर्ष दिसंबर महीने में सिलीगुड़ी जंक्शन से पहाड़ के रंगटंग तक इविनिंग राइड शुरू किया गया.
जिससे पर्यटक करीब 17 किलोमीटर तक इस खुबसूरत ट्वॉय ट्रेन की सवारी कर सकें. माना जा रहा है था कि दार्जिलिंग घूमने आने वाले पर्यटक इससे काफी खुश होंगे और इस ट्रेन की आय भी बढ़ेगी. परंतु रेलवे ने यहां शायद एक रणनीतिक गलती कर दी. इसका किराया काफी अधिक रखा गया. भारी किराया ने एक तरह से कहें तो यात्रियों को पराया कर दिया.इसमें प्रथम श्रेणी तथा डायनिंग कार के दो डब्बे लगाये गए. प्रथम श्रेणी का 1000 रूपये तथा डायनिंग कार का किराया 12 सौ रूपये प्रति यात्री रखा गया.
तब टूर ऑपरेटरों ने इसका विरोध किया था. माना जा रहा है कि ट्रेन का किराया ज्यादा होने के चलते पर्यटक इस ओर आकर्षित नहीं हुए. स्थिति ऐसी हो गयी कि दो या चार यात्री ही मिल रहे थे. जिससे अंत में रेलवे को यह सेवा बंद कर देनी पड़ी. सूत्रों कि माने तो डीएचआर फिर पहाड़ी रास्तों पर ट्वॉय ट्रेन दौड़ाने की योजना बना रही है.
मिली जानकारी के अनुसार इविनिंग राइड ट्रेन हर रोज दोपहर 3 बजे सिलीगुड़ी से पहाड़ी जंगलों के बीच से रंगटंग तक जाती थी. फिर सिलीगुड़ी जंक्शन तक लौटती थी. यह पूरा सफर चार घंटे का था. जिसे ध्यान में रखते हुए ट्रेन के फर्स्ट क्लास का किराया एक हजार तथा डायनिंग क्लास का किराया बारह सौ रुपये निर्धारित किया गया. लेकिन कुछ दिनों तक ट्रेन के चलाने के बाद पैसेन्जर नहीं होने के चलते रेलवे को इसे बंद करना पड़ा.
इस विषय पर सिलीगुड़ी के एक टूर ऑपरेटर सम्राट सान्याल ने बताया कि इविनिंग राइड ट्रेन से पर्यटन कारोबार को बढ़ावा मिल सकता था. इस ट्रेन को वहलोग मार्केटिंग का जरिया बनाते थे. लेकिन अचानक इसके बंद होने से पर्यटकों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने में उन्हें थोड़ी समस्या हो रही है. उन्होंने बताया किसी भी नये वस्तु को बाजार में आकर्षण का केन्द्र बनने में समय लगता है.
इविनिंग राइड ट्रेन को नियमित रुप से चलाने की आवश्यकता है. श्री सान्याल ने बताया कि ट्रेन में किराया कम करने का प्रस्ताव रेलवे को पहले दिया गया था.उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि किराये में कमी की जानी चाहिए. अगर किराया कम हुआ तो ज्यादा पर्यटक आकर्षित होंगे.
इस संबध में जब डीएचआर के डायरेक्टर मिलन कुमार नार्जेनरी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि पर्यटन का मौसम होने पर भी चुनाव के चलते पर्यटक कम आ रहे हैं. पर्यटकों की कमी तथा पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से चलते ट्वॉय ट्रेन सेवा को फिलहाल स्थगित रखा गया है.दो चार लोगों को लेकर ट्रेन चलाना संभव नहीं है. जब यात्री ज्यादा मिलने लगेंगे तो फिर से यह ट्रेन चलेगी.

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