पटना : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) पास अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की मान्यता की अवधि बढ़ाने को लेकर दायर रिट याचिका पर पटना हाइकोर्ट ने बिहार बोर्ड तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने संतोष कुमार वर्मा की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार बोर्ड से जानना चाहा है कि जब तक राज्य के सभी मिडिल, हायर सेकेंडरी, उत्क्रमित, उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को नहीं भरा जाता है, तब तक टीइटी प्रमाणपत्रों की मान्यता क्यों नहीं कायम रह सकती है?
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया की फरवरी, 2012 में आयोजित टीइटी का रिजल्ट 14 जून, 2012 को जारी हुआ था. टीइटी के विज्ञापन के अनुसार रिजल्ट की मान्यता उसके प्रकाशन की तिथि से अगले सात वर्षों तक के लिए ही मान्य होगी.
शिक्षक नियोजन नियमानुसार टीइटी पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति शिक्षक के पद पर होनी है. कोर्ट को बताया गया कि सूबे के मिडिल, हायर सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों के 20 हजार से अधिक पद रिक्त हैं. इतनी संख्या में रिक्तियां रहने पर भी सात सालों से टीइटी प्रमाणपत्र धारी अभ्यर्थी नियोजन के इंतजार में बैठे हुए हैं.
वहीं डेढ़ महीने बाद उनके प्रमाणपत्र की मान्यता भी खत्म होने वाली है. हाइकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार और बिहार बोर्ड से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं टीइटी प्रमाणपत्रों की मान्यता की अवधि तब तक के लिए बढ़ायी जाये, जब तक शिक्षकों की सभी रिक्तियां भर नहीं जाती हैं.