समूह का काम शुरू, हर प्रखंड में किसान को बनाया जायेगा सदस्य
मिट्टी जांच से लेकर फसल बीमा व बुआई की दी जा रही जानकारी
मधुबनी : अब किसानों को कृषि यंत्र,उन्नत किस्म के बीज, विशेषज्ञ और फसल के उत्पादन को बाजार में बेचने के लिये कहीं भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब किसानों को उनके गांव में ही सुविधा मुहैया करा दी जायेगी. समय से जुताई, बुआई और फिर उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने के लिये एक समूह मिलेगा. केंद्र सरकार की योजना के तहत अब जिले में भी आधुनिक खेती के तरीके के साथ समूह का गठन हो गया है. इस समूह के सदस्य फिलहाल पहले चरण में हर प्रखंड में किसानों को खेती की जानकारी दे रहे हैं.
फिर उन्हें समय से जुताइ, कटाई के लिये यंत्र भी उपलब्ध करायेगी. इसके लिये किसानों को महज कुछ रूपये किराये के तौर पर देने होंगे. इसके लिये किसाना को संगठन का सदस्य बनना होता है. ” मिशन जैबिक बिहार योजना के तहत खेत से लेकर बाजार तक की सुविधा ” के तहत अब जिले में संगठन के माध्यम से काम शुरू कर दी गयी है.
केंद्र सरकार की है पहल : मजदूरों की समस्या, समय पर यंत्र उपलब्ध नहीं होने से जुताई नहीं होने और उन्नत बीज नहीं मिल पाने से किसान खेती छोड़ने लगे थे. पर अब केंद्र सरकार ने नयी पहल की है. इसके तहत एक समूह काम करेगा. जो हर प्रखंड में किसानों को कम कीमत पर प्रमाणित बीज, विशेषज्ञ और फिर उत्पाद को बेचने की गारंटी भी लेगा. मिट्टी जांच का काम भी यही संगठन मुफ्त में करायेगी.
जिले में फिलहाल एक समूह का गठन कर लिया गया है. लोक मानव कल्याण सेवा समिति के नाम का यह संगठन हर प्रखंड में काम कर रहा है. इस समूह का काम यह है कि इसके सदस्य हर गांव में जाकर किसानों को खेती के आधुनिक तरीके, उन्नत बीज व यंत्र उपलब्ध करायेगी. यांत्रीकरण बैंक, विशेषज्ञ की उपलब्धता एवं बाजार व्यवस्था इन तीन चीज पर यह समूह काम कर रहा है. किसान समूह को फोन से या व्यक्तिगत तौर पर सूचना देगा कि उन्हें किस समय में कौन सी बीज, यंत्र और विशेषज्ञ चाहिये. सूचना मिलते ही किसान के पास वह संसाधन कार्यरत संगठन उपलब्ध करायेगी. संगठन अपने स्तर से जुताई से लेकर बुआई, तैयारी और फिर उसे बेचने की जिम्मेदारी लेगी
संगठन से जुडा है कृषि विश्वविद्यालय : संगठन से कई प्रसिद्ध कृषि विश्वविद्यालय जुड़ा है. जो वैज्ञानिक रूप से किसानों को फसल बुआई की जानकारी देगा. साथ ही उन्नत कीस्म के बीज भी इन्हीं कृषि विश्वविद्यालय से मिलेगा. इसमें राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर, मिट्टी जांच के लिये सबौर भागलपुर सहयोग करेगी.