रांची : ड्रग इंस्पेक्टर की अोर से जाली इंजेक्शन मामले में इसी सप्ताह प्राथमिकी दर्ज करायी जा सकती है. इससे पहले अौषधि निदेशालय ने संबंधित कंपनी को पत्र लिख कर उससे पूछा था कि संबंधित इंजेक्शन का उत्पादन आपने किया था या नहीं.
कंपनी ने यह स्वीकार किया कि यह उत्पाद उसका ही है. निदेशालय केस दर्ज कराने के लिए अन्य कागजात व विवरण इकट्ठे कर रहा है. इसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर की अोर से मामला दर्ज कराया जायेगा.
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध झारखंड राज्य मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड की खरीदी दवा नकली निकल गयी है. इसमें दवा की जगह सिर्फ लिक्विड मिला है. सरकारी लैब की जांच रिपोर्ट में पता चला कि उक्त इंजेक्शन में सिर्फ पानी है. इसमें दवा डाली ही नहीं गयी है.
कॉरपोरेशन ने 2018 में एंटी रिएक्टिव इंजेक्शन (डेक्सामेथासोन सोडियम फॉस्फेट) की खरीद की थी. इसका निर्माण जैक्सन लेबोरेटरी प्रा. लि मजिठा रोड, अमृतसर ने किया है. उक्त इंजेक्शन का दिसंबर 2017 में बने एक बैच (संख्या 1-15826) का सैंपल, जांच में जाली पाया गया है. सूत्रों के अनुसार इस बैच का करीब 85 हजार वॉयल (सीसी) इंजेक्शन था, जिसमें से 20-25 हजार वॉयल का तो उपयोग भी किया जा चुका है.
दूसरे बैच की जांच रिपोर्ट अभी नहीं : कॉरपोरेशन ने उपरोक्त इंजेक्शन दो बैच में खरीदा था. एक की जांच तो हो गयी. अब शक के आधार पर दूसरे बैच का इंजेक्शन भी जांच के लिए भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है. निदेशालय सूत्रों के अनुसार लैब में जांच के लिए सैंपल की लंबी लाइन के कारण इसमें थोड़ा विलंब हो सकता है.