घोड़े पर आयेंगी मां दुर्गा, भैंसे पर जायेंगी
आठ शुभ संयोगों से सुशोभित चैत नवरात शनिवार से शुरू होगी. इस साल इसमें 5 सर्वार्थ सिद्धि, 2 रवि योग और एक रवि पुष्य योग का शुभ संयोग बन रहा है. इन संयोगों में माता की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी. इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी से होगा जो राज्य भय एवं युद्ध को देने वाली है. रविवार को विसर्जन होने से भैंसे पर बैठकर माता जाएंगी, जिससे अधिक बारिश होगी.
पूजा विधि
कलश स्थापना : नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना सबसे आवश्यक है, जो ब्रह्मांड का प्रतीक है. इसे घर की शुद्धि और खुशहाली के लिए पवित्र स्थान पर रखा जाता है.
अखण्ड ज्योति : नवरात्रि ज्योति घर और परिवार में शांति का प्रतीक है. इसलिए नवरात्रि पूजा शुरू करने से पहले देसी घी का दीपक जलाते हैं. यह नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद करता है और भक्तों में मानसिक संतोष बढ़ाता है.
जौ की बुवाई : नवरात्रि में घर में जौ की बुवाई करते है. ऐसी मान्यता है कि जौ इस सृष्टि की पहली फसल थी, इसीलिए इसे हवन में भी चढ़ाया जाता है. वसंत ऋतु में आने वाली पहली फसल भी जौ ही है.
दुर्गा सप्तशती का पाठ : दुर्गा सप्तशती शांति, समृद्धि, धन और शांति का प्रतीक है, और नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ को करना, सबसे अधिक शुभ कार्य माना जाता है.
चैत्र नवरात्रि के महत्वपूर्ण समय
प्रतिपदा तिथि आरंभ 5 अप्रैल 1:48 अपराह्न
सूर्योदय 6 अप्रैल 5:48 पूर्वाह्न
सूर्यास्त 6 अप्रैल 18:12 अपराह्न
प्रतिपाद तिथि समाप्त 6 अप्रैल 2 :36 अपराह्न
अभिजीत मुहूर्त 11:35 अपराह्न से 12:24 अपराह्न
घट स्थापन मुहुर्त 11:35 अपराह्न से 12:24 अपराह्न
नोट : कलश स्थापना कार्य चित्रा वैधृति में निषेध होने से अभिजीत मुहूर्त में करें. यह परम सिद्धिदायनी है.
चैत्र नवरात्रि 2019 की तिथि
6 अप्रैल (पहला दिन) घटत्पन, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजा
7 अप्रैल (दूसरा दिन) माता ब्रह्राचारिणी पूजा
8 अप्रैल (तीसरा दिन) चन्द्रघंटा की पूजा
9 अप्रैल (चौथा दिन) कूष्मांडा की पूजा
10 अप्रैल (पांचवा दिन) नाग पूजा और स्कंदमाता की पूजा
11 अप्रैल (छटा दिन) कात्यायनी की पूजा
12 अप्रैल (सातवां दिन) कालरात्रि की पूजा
13 अप्रैल (आठवां दिन) महागौरी की पूजा और संधि पूजा
14 अप्रैल (नौंवा दिन) नवरात्र व्रत का पारण प्रातः 6.01 के बाद दशमी में किया जाएगा.
मंगला आरती से ब्रह्म मुहूर्त में स्थापित होगा
चैती माह के वासंतिक नवरात्र के अनुष्ठान शनिवार को कलश स्थापन के साथ आरंभ हो रहा है. इस दिन भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की उपासना भक्तों द्वारा की जायेगी. शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी के महंत विजय शंकर गिरी ने बताया कि शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में मंगला आरती के साथ कलश स्थापन का अनुष्ठान आरंभ होगा. महंत जी की मानें तो भगवती का आगमन घोड़ा पर व विदाई भैंसा पर होगा. भगवती का आगमन व विदाई दोनों कष्टदायक है. इसके निवारण के लिए सर्वाबाधा विधि मुक्ति पाठ करे. छोटी पटनदेवी के पुजारी आचार्य अनंत अभिषेक द्विवेदी व विवेक द्धिवेदी ने बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में कलश स्थापना का अनुष्ठान आरंभ होगा, सुबह छह बजे मंगला आरती के उपरांत दर्शन पूजन के लिए भगवती का पट खुल जायेगा. आचार्य ने बताया कि प्रतिदिन कन्या पूजन का अनुष्ठान होगा. साथ ही पांच बार भगवती की आरती होगी. इसी प्रकार अगमकुआं शीतला माता मंदिर के पुजारी जयप्रकाश पुजारी, अमरनाथ बबलू, सुनील पुजारी व पंकज पुजारी ने बताया कि कलश स्थापन वैदिक रीति- रिवाज से होगा.
नवाह परायण व दुर्गा सप्तशती की तैयारी
चैती नवरात्र के दौरान देवी मंदिरों में दुर्गा सप्तशती के श्लोक, कील, कवच व अगरला भी गूंजेगा. हनुमान मंदिर में रामचरितमानस की पाठ के साथ नवाह परायण भी होगा.