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तेलंगाना में अजेय रहे कांग्रेस-तेदेपा अब अस्तित्व बचाने के लिए कर रहे संघर्ष

हैदराबाद : तेलंगाना में एक समय अजेय रहे कांग्रेस और तेदेपा 11 अप्रैल को होने वाले इस लोकसभा चुनाव में ऐसा लगता है कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. एक समय राज्य में दबदबा रखने वाली कांग्रेस और तेदेपा का सितारा अब तेलंगाना में उतना बुलंद नहीं लगता. यहां तक कि […]

हैदराबाद : तेलंगाना में एक समय अजेय रहे कांग्रेस और तेदेपा 11 अप्रैल को होने वाले इस लोकसभा चुनाव में ऐसा लगता है कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. एक समय राज्य में दबदबा रखने वाली कांग्रेस और तेदेपा का सितारा अब तेलंगाना में उतना बुलंद नहीं लगता. यहां तक कि तेदेपा ने तो इस बार मैदान में अपने प्रत्याशी भी नहीं उतारे हैं.

कांग्रेस तेलंगाना में संकट का सामना कर रही है. प्रदेश में पार्टी के कुल 19 विधायकों में से पिछले एक महीने के दौरान 10 पार्टी छोड़कर सत्तारूढ़ टीआरएस में शामिल हो गये हैं. कांग्रेस के पूर्व विधायकों सहित कई प्रमुख नेता भी टीआरएस में शामिल हो गये हैं.

पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और तेदेपा ने गठबंधन किया था, लेकिन 119 सदस्यीय सदन में वे क्रमश: मात्र 19 और दो सीटें हासिल करने में ही सफल रही थीं, जबकि टीआरएस को 88 सीटें मिली थीं. तेदेपा ने इस बार तेलंगाना में लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी नहीं उतारे हैं, जबकि कांग्रेस अकेले मैदान में है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मारी शशिधर रेड्डी ने कहा कि वह तेलंगाना में पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में और बेहतर करेगी.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस आलाकमान निश्चित रूप से स्थिति का जायजा लेगा और पार्टी को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठायेगा.’ कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़ने के बारे में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि दलबदल कानून पर फिर से विचार करने की जरूरत है.

तेदेपा ने कहा कि उसे खुद को संगठित और मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि राज्य में इसके पास कैडर और शुभचिंतक हैं. तेदेपा पोलित ब्यूरो के सदस्य रावुला चंद्रशेखर रेड्डी के अनुसार, पार्टी ने तेलंगाना में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है.

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