खबर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से है. यहां के एक जेल में बिट्टू तिवारी नाम की महिला आठ सालों से बंद है. बिट्टू पर उसके पति की हत्या का आरोप है. 20 साल की उम्र में बिट्टू को अपने दो बच्चों को छोड़कर जेल जाना पड़ा. जेल में बंद बिट्टू ने हाल ही में अपने 11 और 9 साल के बेटों से आठ सालके अंतराल के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की. बिट्टू के बेटों की आंखों में भी खुशी के आंसू थे, क्योंकि पिछले आठ बरसों में उन्होंने अपनी मां की तस्वीर सिर्फ फोटो एल्बम में ही देखी थी.
अंगरेजी अखबार ‘मुंबई मिरर’ में छपी खबर के मुताबिक, यह पहला मौका था जब महाराष्ट्र की किसी जेल में बंद किसी कैदी ने राज्य से बाहर रहे रहे अपने परिवार से वीडियो कॉल के जरिये संपर्क किया हो. राजवर्धन सिन्हा (आईजी, कारागार) इस बारे में कहते हैं, हम इस सुविधा को और जेलों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि महाराष्ट्र में बंद दूसरेकैदी भी अन्य राज्यों में रह रहे अपने परिवार से संपर्क कर सकें.
यह है बिट्टू की कहानी
बिट्टू पर आरोप है कि उन्होंने साल 2011 में अपने पति राजू को आग में जलाकर मार दिया. उस समय बिट्टू की उम्र 20 साल थी. उनका एक बेटा उस समय 3 साल का और दूसरा केवल 1 साल का था. हालांकि, पुलिस ने इस मामले में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया था, लेकिन राजू के बड़े भाई ने बिट्टू और उसके सहयोगी संजय केविरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. इसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. बिट्टू के सास-ससुर दोनों बच्चों को अपने साथ रहने के लिए यूपी के गोंडा जिलास्थित अपने घर लेकर चले गये.
रंग लाया प्रयास
आठ साल के इंतजार के बाद मां और बच्चों की बात कराने का श्रेय जाता है ‘प्रयास’ नाम के एक एनजीओ को. यह गैर सरकारी संगठन महाराष्ट्र की जेलों में बंद कैदियों के कल्याण के लिए काम कर रहा है. प्रयास ने बिट्टू का केस 2013 में अपने हाथों में लिया. इसके सदस्य अरुणा निम्से, सिद्धार्थ डोलास और रीना जायसवाल नेउत्तर प्रदेश के गाेंडा से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कीव्यवस्था की.
राजी नहीं थे ससुरालवाले
अरुणा कहती हैं, लंबी कागजी प्रक्रिया के बाद हमें 2019 में मां और बेटों की आपस में बात कराने की मंजूरी मिली. शुरू में तो बिट्टू के ससुराल वाले बच्चों को मां से बात करने देना नहीं चाहते थे, लेकिन हमने ग्राम प्रधानकीमदद से उन्हें समझाने की कोशिश की और आखिरकार वे मान गये. इस नाजुक मामले को देखते हुए गोंडा के जिला अधिकारी वीडियो कॉल के लिए अपने ऑफिस का इस्तेमाल करने देने पर सहमत हो गये.