गोगरी : भारी लग्न के कारण क्षेत्र में शादी विवाह का माहौल है. लेकिन लोकसभा चुनाव आचार संहिता के कारण डीजे के प्रतिबंध से शादी विवाह का मजा किरकिरा होता जा रहा है. अब लोगों को शादी समारोह में डीजे बजाने के लिए प्रशासन से परमिशन लेना पड़ेगा.
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डीजे पर थिरकने वाले युवाओं के अरमान पर फिर रहा पानी
गोगरी : भारी लग्न के कारण क्षेत्र में शादी विवाह का माहौल है. लेकिन लोकसभा चुनाव आचार संहिता के कारण डीजे के प्रतिबंध से शादी विवाह का मजा किरकिरा होता जा रहा है. अब लोगों को शादी समारोह में डीजे बजाने के लिए प्रशासन से परमिशन लेना पड़ेगा. लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ […]
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ आचार संहिता भी लागू हो गयी है. प्रशासन की पैनी नजर हर छोटी बड़ी हरकत पर लगी हुई है. जिला प्रशासन ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र के प्रयोग पर सख्ती पूर्वक रोक लगा दी है.
ऐसे में किसी कारणवश देर से पहुंचने वाली बरात कब आई किसी को कानोंकान खबर नहीं लग पा रही है. गांवों में भी 10 बजे के बाद लगती बरात का आलम यह है कि आधुनिक परिवेश में देर रात तक बरात लाने का एक नया फैशन बनता जा रहा है. शहर क्या गांवों में भी अगर नौ-दस बजे तक बरात आ जाती है तो बहुत लोग इसे लेट नहीं मानते. ऐसे में बगैर डीजे के बरात के लोगों के जश्न क्या हर्ष होगा. इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
यहां तक कि वे पटाखे भी नहीं बजा पा रहे हैं. शहर के युवाओं का कहना है कि शादियों में बाजा बजाने पर प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है. कम से कम शादी समारोह को इस आदेश से राहत देनी चाहिए, क्योंकि यह अवसर कभी-कभी मिलता है. हालांकि, रात में तेज ध्वनि में डीजे बजाना पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, मगर इसका तार्किक निदान निकालकर राहत देने की जरूर कोशिश होनी चाहिए.
डीजे वालों की आमदनी घटी
हालांकि, यह नियम तो पहले भी लागू था मगर, इसपर प्रशासन की सख्ती का सबसे ज्यादा असर शादी समारोहों पर पड़ रहा है. डीजे की धुन पर थिरकने वाले युवाओं के अरमान पर पानी फिर गया है. शादियों का मजा किरकिरा हो गया है. यही नहीं महीनों पूर्व शादी समारोह के माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए वर वधू पक्ष की ओर से नाच बाजा तक का इंतजाम कर लिया गया है.
एडवांस के तौर पर मोटी रकम खर्च भी हो चुकी है. ऐसे में वे इसका उपयोग कैसे करेंगे उनके लिए बड़ा प्रश्न बन गया है. वर-वधू पक्ष को बाजा बजाने के लिए अनुमति लेने को अनुमंडल कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. इन सबके बावजूद प्रशासन की ओर से महज 10 बजे रात तक ही ध्वनि विस्तारक यंत्र के प्रयोग की अनुमति मिल रही है.
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