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भाजपा-कांग्रेस के बीच लोस की 100 सीटों पर होगा महामुकाबला, 2014 के नतीजों के आधार पर बन रहीं रणनीतियां

100 सीटों पर हार-जीत का अंतर दस फीसदी से कम था 56 सीटों पर 80,000 से कम वोटों से हारी थी कांग्रेस 224 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी कांग्रेस 33 सीटों पर भाजपा की हार का फीसदी 10 से कम था 23 सीटों पर हार-जीत का फैसला मात्र 1% से कम मतों से […]

  • 100 सीटों पर हार-जीत का अंतर दस फीसदी से कम था
  • 56 सीटों पर 80,000 से कम वोटों से हारी थी कांग्रेस
  • 224 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी कांग्रेस
  • 33 सीटों पर भाजपा की हार का फीसदी 10 से कम था
  • 23 सीटों पर हार-जीत का फैसला मात्र 1% से कम मतों से हुआ था
नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव के समर में 100 सीटें भाजपा और कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेंगी, जहां हार-जीत का अंतर 10 प्रतिशत के आसपास रहा है.
चुनाव में कांग्रेस की नजर देश की करीब 56 सीटों पर होगी, जहां वह 80 हजार या उससे कम वोटों से हारी थी. इनमें से 24 सीटों पर बहुत कड़ा मुकाबला था. लोकसभा चुनाव, 2014 के परिणामों से स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी 224 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी, जबकि उसे 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी .
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा 282 सीटों पर जीती थी और 146 सीटों पर उसे हार मिली थी. जिन सीटों पर भाजपा हारी थी, उनमें से 82 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी को मिले वोट विजयी उम्मीदवार से 20 प्रतिशत कम थे और 33 सीटों पर भाजपा की हार का मत प्रतिशत 10 या उससे कम था .
इन सीटों पर कांग्रेस का रहेगा जोर
लोकसभा चुनाव का प्रचार कार्य तेज होने के साथ कांग्रेस का जोर उधमपुर, खडूर साहब, सहारणपुर, करौली, ढोलपुर, लोहरदगा, रांची, महासमुंद, आणंद, सांवरकांठा, धार, नंदुरबार, दादरा नगर हवेली, दावणगेरे, बेलगांव, कुशीनगर, रायगंज, मांडया, कोप्पल, बेलगाम, सासाराम, लक्षद्वीप, त्रिशूर, बीजापुर, कासरगोड सीट पर बढ़ गया है . इन सीटों पर पिछले चुनाव में कांटे का मुकाबला था.
23 सीटों पर हार-जीत 01% से कम मतों से हुआ था
पिछले चुनाव में देशभर में कुल 23 सीटों पर काफी नजदीकी मुकाबला हुआ था. इन सीटों पर हार-जीत का फैसला एक प्रतिशत से कम मतों से हुआ था.
इनमें सबसे ज्यादा चार सीटें कर्नाटक में, तीन केरल में और दो-दो सीटें आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में, जबकि एक-एक सीट जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में है. इन 23 सीटों पर जीत हार का अंतर 36 से लेकर 11,178 मत रहा. इन सीटों में से छह-छह सीटें भाजपा और कांग्रेस ने जीतीं, जबकि तीन सीट माकपा, दो सीट बीजू जनता दल और एक-एक सीट राजद, लोजपा, जेडीएस, शिवसेना, तेदेपा एवं टीआरएस को मिली थीं.
एक प्रतिशत से कम अंतर वाली इन 23 सीटों में से 17 सीटों पर मतदान का प्रतिशत 70 से अधिक था. इसलिए इन सीटों पर मतदान प्रतिशत बढ़ने की गुंजाइश ज्यादा नहीं है. पिछले लोकसभा चुनाव में एक प्रतिशत मतों के अंतर से जीतने वाले प्रमुख नेताओं में कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली, शिवसेना के अनंत गीते और माकपा के मोहम्मद सलीम के नाम शामिल हैं.
लद्दाख में महज 36 वोट से जीती थी भाजपा
2014 में हार-जीत का सबसे कम अंतर जम्मू-कश्मीर की लद्दाख सीट पर था, जहां भाजपा 36 मतों के अंतर से जीती थी. छत्तीसगढ़ की महासमुंद सीट पर भाजपा की जीत का अंतर महज 1217 वोट का था. कर्नाटक की रायचुर सीट पर कांग्रेस ने भाजपा को 1499 मतों से हराया था . लक्षद्वीप सीट पर राकांपा के मोहम्मद फैजल ने हमदुल्ला सईद को 1535 मतों से और महाराष्ट्र की हिंगोली सीट पर कांग्रेस के राजीव शंकर राव सातव ने शिवसेना के वानखेडे़ सुभाष बापूराव को 1632 मतों से हराया था .
जहां 1% से कम मतों से हार-जीत का फैसला हुआ
राज्य सीटें
कर्नाटक : 04
केरल : 03
आंध्र प्रदेश : 02
बिहार : 02
छत्तीसगढ़ : 02
महाराष्ट्र : 02
ओड़िशा : 02
प बंगाल : 02
जम्मू-कश्मीर : 01
झारखंड : 01
मध्य प्रदेश : 01
उत्तर प्रदेश : 01
खोई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस की दलित लामबंदी
लखनऊ : प्रदेश में अपनी खोई जमीन वापस पाने का प्रयास कर रही कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ज्यादा-से-ज्यादा दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने के मकसद उन्हें लामबंद करने में जुटी है. इसके लिए अनुसूचित जाति विभाग ने टीम यूपी गठित की है. यह टीम प्रियंका गांधी की सोच का हिस्सा है.
इस टीम ने पंचायत स्तर पर यह मुहिम शुरू की है. इसके तहत दलित परिवारों से सीधा संवाद किया जा रहा है. इसके लिए पूरे प्रदेश में विधानसभा एवं पंचायत स्तर पर समितियां भी गठित की गयी हैं, जिनमें दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले स्थानीय कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया है.

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