नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अलग रह रहे पति-पत्नी को ‘‘यौन संबंध बनाने” के लिए मजबूर करने के कानूनी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है और सरकार से जवाब मांगा है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया कि ये कानून महिलाओं के साथ ‘‘गुलाम” जैसा व्यवहार करते हैं और ये निजता के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं.
ओजस्व पाठक और मयंक गुप्ता ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा नौ, विशेष विवाह अधिनियम की धारा 22 और दीवानी प्रक्रिया संहिता के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी. ये कानूनी प्रावधान अदालतों को अलग रह रहे पति पत्नी के वैवाहिक अधिकारों को बहाल करने का आदेश पारित करने का अधिकार देते हैं.