जाले : कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में जैविक उत्पादक विषय पर चल रहे दो सौ घंटे के कौशल विकास प्रशिक्षण में शुक्रवार को केंद्र समन्वयक सह मृदा वैज्ञानिक डॉ आनन्द प्रसाद राकेश ने जैविक खेती में कीट एवं रोग प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया. किसानों को एक से अधिक तरीके व्यवहारिक कृषि क्रियाएं, भौतिक विधि, यांत्रिक विधि, जैविक विधि, कीट एवं रोग प्रतिरोधी किस्म का चयन आदि अपनाने के लिए बताया.
कहा कि प्राकृतिक पारिस्थितिक प्रणाली में कीटों का नियंत्रण उनके प्राकृतिक शत्रुओं के द्वारा स्वतः ही होते रहता है, लेकिन दुश्मन कीटों की संख्या कम करने के लिए परजीवी एवं परभक्षी कीटों का संरक्षण एवं संवर्द्धन करना चाहिए. आजकल ट्राइकोग्रामा, लेडी बर्ड बीटल इत्यादि मित्र कीटों को प्रयोगशाला में पालकर संख्या को बढ़ाया जाता है. इसका प्रयोग दुश्मन कीटों के नियंत्रण में किया जाता है. इसके प्रयोग से रासायनिक दवाओं के छिड़काव से बचा जा सकता है.
इससे लागत में कमी होती ही है साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण से बचाता है. प्रायोगिक सत्र में लैब तकनीशियन अरुण कुमार ने प्रशिक्षणार्थियों को केन्द्र के खेतों में विभिन्न कीटों को दिखाया. मित्र कीट जैसे लेडी बर्ड बीटल के लार्वा एवं व्यस्क की पहचान कराया गया.